व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी, सोमवार, 04 दिसंबर 2023
आज की विशेषता :- आज श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री का उत्सव
- आज वर्तमान पूज्य तिलकायत गौस्वामी श्री राकेशजी महाराजश्री के पितृचरण एवं नाथद्वारा सहित पुष्टि सृष्टी के लाडले कहलाने वाले नित्यलीलास्थ तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज श्री का प्राकट्योत्सव है. आज की सेवा श्री रसालिकाजी एवं श्री ललिताजी के भाव से होती है.
श्रीजी का सेवाक्रम : –
- उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी हल्दी से मांडी जाती हैं एवं आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- आज चारों दर्शनों (मंगला, राजभोग, संध्या-आरती व शयन) में आरती थाली में होती है.
- आज से मंगला भोग में श्रीजी को गेहूं के आटे (चून) का सीरा का डबरा डोलोत्सव तक प्रतिदिन नियम से अरोगाया जाता है.
- उत्सव की बधाई के रूप में बाललीला के पद गाये जाते हैं.
- सामान्यतया सभी बड़े उत्सवों पर प्रभु को भारी श्रृंगार धराया जाता है परन्तु आपश्री का भाव था कि भारी आभरण से प्रभु को श्रम होगा अतः आपश्री ने आपके जन्मदिवस पर प्रभु को हल्का श्रृंगार धरा कर लाड़ लडाये.
- गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में प्रभु को केशरयुक्त जलेबी के टूक, दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी व चार फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता और सखड़ी में केसरयुक्त पेठा, मीठी सेव व छःभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) आरोगाये जाते हैं.
- सामान्यतया उत्सवों पर पांचभात ही अरोगाये जाते हैं. छठे भात के रूप में (नारंगी भात) शीतकाल में कुछेक विशेष दिनों में ही अरोगाये जाते हैं.
- श्रृंगार से राजभोग के भोग आवे तब तक पलना के भरतकाम वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- राजभोग में स्वर्ण का बंगला आता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज श्रीजी में केसरी साटन की सलमा-सितारा के भरतकाम वाली पिछवाई साजी जाती है जिसमें नन्द-यशोदा प्रभु को पलना झुला रहे हैं और पलने के ऊपर मोती का तोरण शोभित है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज पतंगी रंग की साटन का रुपहली ज़री की किनारी वाला सूथन, घेरदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं.
- पीला मलमल का रुपहली ज़री की किनारी वाला कटि-पटका धराया जाता है.
- मोजाजी भी पीले मलमल के धराये जाते है.
- मेघश्याम रंग के ठाड़े वस्त्र धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पीले मलमल की छोरवाली (ऊपर-नीचे छोर) गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच की जगह हीरा का शीशफूल उस पर हीरा की दो तुर्री, घुंडी की लूम एवं चमक की गोल-चन्द्रिका धरायी जाती हैं.
- अलक धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में हीरा की बद्दी व एक पाटन वाला हार धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में द्वादशी वाले वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट उत्सव का, गोटी कांच की आती है.
- आरसी श्रृंगार में लाल मख़मल की एवं राजभोग में सोने की डांडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : देहो ब्रजनाथ आंगी
- श्रृंगार में : कुल्हे की पाग पर पेच अति जगमगे
- राजभोग : श्री वल्लभनंदन रूप सरूप
- नेक चिते अब चलेरी लालन ले जू गए
- आरती : बधाई जन्माष्टमी की, आज तो गोकुल गाम कैसो रह्यो
- शयन : बाल लीला के पद, कनक कुसुम अति श्रवण
- मान : तेरे सुहाग की महिमा मोपे
- पोढवे : लागत है अत शीत की निकी
सायंकालिन सेवा भावना :
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत बदधि बड़ी करके त्रवल धरावे.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
………………………