व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी, रविवार, 24 दिसंबर 2023
आज की विशेषता :- मार्गशीर्ष एवं पौष मास में जिस प्रकार सखड़ी के चार मंगलभोग होते हैं उसी प्रकार पांच द्वादशियों को पांच चौकी (दो द्वादशी मार्गशीर्ष की, दो द्वादशी पौष की एवं माघ शुक्ल चतुर्थी सहित) श्रीजी को अरोगायी जाती है.
- इन पाँचों चौकी में श्रीजी को प्रत्येक द्वादशी के दिन मंगला समय क्रमशः तवापूड़ी, खीरवड़ा, खरमंडा, मांडा एवं गुड़कल अरोगायी जाती है.
- यह सामग्री प्रभु श्रीकृष्ण के ननिहाल से अर्थात यशोदाजी के पीहर से आती है. श्रीजी में इस भाव से चौकी की सामग्री श्री नवनीतप्रियाजी के घर से सिद्ध हो कर आती है, अनसखड़ी में अरोगायी जाती है परन्तु सखड़ी में वितरित की जाती है.
- इन सामग्रियों को चौकी की सामग्री इसलिए कहा जाता है क्योंकि श्री ठाकुरजी को यह सामग्री एक विशिष्ट लकड़ी की चौकी पर रख कर अरोगायी जाती है.
- उस चौकी का उपयोग श्रीजी में वर्ष में उन किया जाता है जब-जब श्री ठाकुरजी के ननिहाल के सदस्य आमंत्रित किये जायें. इन चौकी के अलावा यह चौकी श्री ठाकुरजी के मुंडन के दिवस अर्थात अक्षय-तृतीया को भी धरी जाती है.
- देश के बड़े शहर प्राचीन परम्पराओं से दूर हो चले हैं पर आज भी हमारे देश के छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में ऐसी मान्यता है कि अगर बालक को पहले ऊपर के दांत आये तो उसके मामा पर भार होता है. इस हेतु बालक के ननिहाल से काले (श्याम) वस्त्र एवं खाद्य सामग्री बालक के लिए आती है.
- यहाँ चौकी की सामग्रियों का एक यह भाव भी है. बालक श्रीकृष्ण को भी पहले ऊपर के दांत आये थे. अतः यशोदाजी के पीहर से श्री ठाकुरजी के लिए विशिष्ट सामग्रियां विभिन्न दिवसों पर आयी थी.
- आज द्वितीय चौकी है जिसमें श्रीजी को मंगलभोग में खीरवड़ा अरोगाये जाते हैं जो श्री प्रियाजी मव सिद्ध होकर आते है.
- प्रभु को खीरवड़ा वर्षभर में केवल आज के दिन ही अरोगाये जाते हैं. इसके अलावा उड़द के टिकड़ा, भुजेना, खीर आदि कई सामग्रियां अरोगायी जाती है.
- चौकी के भोग धरने और सराने में लगने वाले समय के कारण पंद्रह मिनिट का अतिरिक्त समय लिया जाता है.
- श्रृंगार से राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में कुछ जल्दी होता है.
- उत्थापन में फलफूल के साथ अरोगाये जाने वाले फीके के स्थान पर आज छप्पनभोग के लिए सिद्ध की जा रही उड़द की दाल की कचौरी अरोगायी जाती है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज हरे रंग की साटन की लाल रंग के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. हांशिया के दोनों ओर रुपहली ज़री की किनारी लगी होती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज श्वेत रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली चाकदार वागा और मोजाजी धराये जाते हैं.
- पटका मलमल का धराया जाता हैं.
- लाल रंग छापा का गाती का रुमाल (पटका) धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज हरे रंग की साटन का लाल गॉट वाला सूथन, घेरदार वागा, चोली तथा मोजाजी लाल धराये जाते हैं.
- मोजाजी भी गुलाबी फून्दों से सुसज्जित होते हैं.
- लाल दरियाई वस्त्र के बन्ध धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र सफेद रंग के लट्ठा के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा में श्रीजी को आज छोटा चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोलपाग के ऊपर सिरपैंच, दोहरा मोर कतरा सुनहरी दोहरी फोंदन को एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- आज त्रवल की जगह कंठी धराई जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में सुआ के वेणुजी एवं वेत्रजी धरायी जाती हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट हरा एवं गोटी सोना की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : आज बधाई मंगलचार
- राजभोग : सुनोरी आज नवल वधायो है
- आरती : लाल के गुण गाऊं श्री वल्लभ
- शयन : भाग्य सबन ते न्यारो
- मान: हों तो सो अब कहा कहू आली
- पोढवे: रुच रुच सेज बनाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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