व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी, सोमवार, 25 दिसंबर 2023
आज की विशेषता :- आज श्रीजी में चतुर्थ (अमरसी) घटा होगी. आज की घटा नियम से मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा को होने वाले घर के छप्पनभोग से एक दिन पहले होती है.
- मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी से मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तक पूर्णिमा को होने वाले घर (नियम) के छप्पनभोग उत्सव के लिए विशेष सामग्रियां सिद्ध की जाती हैं. ये विशेष रूप से सिद्ध हो रही सामग्रियां प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगायी जाती हैं. इसी श्रृंखला में श्रीजी को आज उड़द के मगद के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
- यह सामग्री कल होने वाले छप्पनभोग के दिन भी अरोगायी जाएगी.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में थोड़ा जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज अमरसी दरियाई वस्त्र की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर अमरसी बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को अमरसी दरियाई वस्त्र का सूथन, घेरदार वागा, चोली, एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी अमरसी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर अमरसी गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, अमरसी रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- तिलक बेसर हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ रंग बिरंगे पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट अमरसी, गोटी सोने की आती है
- आरसी श्रृंगार में सोने की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : महा महोच्छव श्री गोकुल धाम
- राजभोग : अचल बधायो हे सुनोरी आज
- आरती : मंगल रूप निधान श्री वल्लभ
- शयन : वल्लभ लाडिले हो तिहारे
- मान : तेरे सुहाग की महिमा मोपे
- पोढवे : लागत है अत शीत की निकी
संध्याकालीन सेवा :-
संध्या-आरती दर्शन उपरान्त प्रभु के श्रीमस्तक और श्रीकंठ के आभरण बड़े किये जाते हैं. श्रीमस्तक पर सुनहरी लूम तुर्रा धराये जाते हैं और शयन दर्शन का क्रम भीतर ही होता है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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