व्रज – पौष कृष्ण चतुर्दशी, बुधवार, 10 जनवरी 2024
आज की विशेषता :- जिस प्रकार जन्माष्टमी के पश्चात भाद्रपद कृष्ण एकादशी से अमावस्या तक बाल-लीला के पांच श्रृंगार धराये जाते हैं उसी प्रकार श्री गुसांईजी के उत्सव के पश्चात चार श्रृंगार बाल-लीला के धराये जाते हैं.
- गत एकादशी के दिन कुल्हे का प्रथम श्रृंगार धराया गया उसी श्रृंखला में आज ‘पीताम्बर को चोलना’ का दूसरा बाल-लीला का श्रृंगार ‘पीताम्बर को चोलना पहरावत मैया, जोई सुने ताको मन हरे परमानंद बलि जैया.’ पद के आधार पर धराया जाता है.
- दिनभर बाल लीला के कीर्तन गाये जाते हैं.
- बाल-लीला का आगामी श्रृंगार तिलकायत श्री दामोदरलालजी के उत्सव के दिन (पौष शुक्ल षष्ठी) व चौथा श्रृंगार माघ कृष्ण अमावस्या के दिन धराया जाता है.
- आज के श्रृंगार में विशेष यह है कि आज लाल छापा की सूथन एवं पीला छापा का सुनहरी किनारी का घेरदार वागा धराया जाता है. सामान्यतया सूथन एवं घेरदार वागा एक ही रंग के धराये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज श्रीजी में मेघश्याम रंग की, सुनहरी सुरमा-सितारा के कशीदे से चित्रित मोर-मोरनियों के भरतकाम वाली अत्यंत आकर्षक पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल छापा का सूथन, पीले रंग की, सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित घेरदार वागा एवं चोली एवं धराई जाती है.
- मोजाजी सुनहरी ज़री के एवं ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज मध्य का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- जिनमे कड़ा, हस्त, सांखला, हांस, त्रवल,एक हालरा, बघनखा सभी धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर सुनहरी ज़री की पाग (चीरा) के ऊपर सिरपैंच, लूम तुर्री तथा जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी-लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कली की माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ रंग बिरंगे पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट पीला एवं गोटी सोना की चिड़िया की धरायी जाती हैं.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज दिनभर उत्सव की बधाई एवं ढाढ़ी के कीर्तन गाये जाते हैं.
- मंगला : रंग भरी मूरत अनंग भरी अखियाँ
- राजभोग : देख री रोहिणी मैया, पीताम्बर को चोलना पहरावत मैया
- मीठे हरिजु के बोलना
- आरती : खेलत ते आय धाय जाय बैठे
- शयन : कहा कहा खेले हो लालन
- पोढवे : लागत है अत सीत की नीकी रितु
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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