व्रज – पौष कृष्ण त्रयोदशी, मंगलवार, 09 जनवरी 2024
आज की विशेषता :- आज श्रीजी में बैंगनी घटा के दर्शन है. यह घटा नियत है और सामान्यतया आज के दिन ही होती है यद्यपि इसका क्रम निश्चित नहीं और इस वर्ष छटे क्रम पर ली गयी है.
- श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं. घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं.
- आकाश में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु गौस्वामी वंश परंपरा के सभी तिलकायतों ने अपने-अपने समय में प्रभु के सुख एवं वैभव वृद्धि हेतु विभिन्न मनोरथ किये.
- इसी परंपरा को कायम रखते हुए नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ (दूज का चंदा सहित) कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
- इनमें कुछ घटाएँ (हरी, श्याम, लाल, अमरसी, रुपहली व बैंगनी) नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ (गुलाबी, पतंगी, फ़िरोज़ी, पीली और सुनहरी घटा) ऐच्छिक है जो बसंत-पंचमी से पूर्व खाली दिनों में ली जाती हैं.
- ये द्वादश कुंज इस प्रकार है :- अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज.
- जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में आज श्रीजी में बैंगनी घटा होगी. साज, वस्त्र आदि सभी बैंगनी रंग के होते हैं. सर्व आभरण हीरे एवं मोती एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में थोड़ा जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज बैंगनी रंग के दरियाई वस्त्र की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर बैंगनी बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को बैंगनी रंग के दरियाई वस्त्र का सूथन, घेरदार वागा, चोली, एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी बैंगनी रंग के ही धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर बैंगनी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, मोती की लूम तथा चमकनी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- हीरे की एक माला हमेल की भांति धरायी जाती है.
- एक हार एवं पचलड़ा धराया जाता हैं.
- आज श्रीकंठ में पुरे दिन सफ़ेद मनका की माला धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चाँदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- पट बैंगनी एवं गोटी चाँदी आती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज दिनभर उत्सव की बधाई एवं ढाढ़ी के कीर्तन गाये जाते हैं.
- मंगला : जागे हो रेन तुम सब
- राजभोग : ए कहूं उमडे घुमडे गाजतहो पिय कहुं बरखत कहुं उघरजात
- आरती : गोवर्धन गिर चढ़ टेरी
- शयन : जब में देखे री गोपाल लाल
- पोढवे : श्याम जू सुख सेज
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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