व्रज – माघ कृष्ण सप्तमी, शुक्रवार, 02 फरवरी 2024
आज की विशेषता :- आज श्रीजी में दसवी घटा पीली घटा है.
- यह घटा निश्चित है पर इसका दिन व क्रम ऐच्छिक है.
- जैसा कि पूर्व में वर्णित है कि श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं. घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने अपने पुत्र श्री दामोदरलालजी की विनती और आग्रह पर निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ (दूज का चंदा सहित) कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
- इनमें कुछ घटाएँ (हरी, श्याम, लाल, अमरसी, रुपहली व बैंगनी) नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ (गुलाबी, पतंगी, फ़िरोज़ी, पीली और सुनहरी घटा) ऐच्छिक है जो बसंत-पंचमी से पूर्व खाली दिनों में ली जाती हैं.
- द्वादश कुंज इस प्रकार है –
- अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज.
- जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है.
- इसी श्रृंखला में आज वसंत कुंज की भावना से श्रीजी में पीली घटा होगी. साज, वस्त्र आदि सभी पीले रंग के होते हैं. सर्व आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में कुछ जल्दी हो जाता है.
- शीतकाल में द्वादश घटाएँ होती हैं जिनमें केवल आज की पीली घटा में ही पीला मलमल का कटि-पटका भी धराया जाता है. अन्य किसी घटा में कटि-पटका नहीं धराया जाता.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज पीले रंग की दरियाई वस्त्र की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया, खण्ड पाट एवं चरणचौकी पर पीली बिछावट की जाती है.
- स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को पीले रंग का दरियाई का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- पीले मलमल का कटि-पटका भी धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र भी पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा कमर तक का चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पीले रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, पीले रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीमस्तक पर अलक धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में स्वर्ण के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- आज पचलड़ा एवं हीरा का हार धराया जाता है.
- सभी समय पीले पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट पीला व गोटी छोटी स्वर्ण की आती है.
- आरसी सोने की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : प्यारे बाके सब निस जागे
- राजभोग : नेक चितेब चले री लालन
- आरती : याते भई है अबेर
- शयन : प्रीत को मरम जान्यो
- मान : झपत प्यारो तेरे गुनन की माला
- पोढवे : रच रच सेज बनाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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