व्रज – माघ शुक्ल चतुर्थी, मंगलवार, 13 फरवरी 2024
आज की विशेषता :- श्री मुकुन्दरायजी (काशी) का पाटोत्सव, श्री दामोदरदासजी हरसानी का प्राकट्य दिवस
- आज श्री मुकुंदरायजी (काशी) का पाटोत्सव व पुष्टि सृष्टि के अग्रज श्री दामोदरदास हरसानीजी का प्राकट्य दिवस है. आज शीतकाल की छेल्ली चौकी भी है. आप सभी को बधाई
- प्रभु के सेवाक्रम में प्रत्येक ऋतु का परिवर्तन उसके आगमन और प्रस्थान के समय अद्भुत क्रमानुसार होता है. जिस प्रकार कोई भी ऋतु एकदम से नहीं परिवर्तित नहीं हो जाती वरन धीरे धीरे कई भागों में परिवर्तित होती है उसी प्रकार पुष्टिमार्ग में प्रभु का सेवाक्रम इस प्रकार निर्धारित किया गया है कि ऋतु के प्रत्येक भाग के बदलाव के अनुसार सेवाक्रम में भी बदलाव होता है. बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन और शीत ऋतु के प्रस्थान की प्रक्रिया शुरू हो रही है तो प्रभु के सेवाक्रम में भी कुछ परिवर्तन होते हैं.
- विजयदशमी के दिन प्रभु को ज़री के वस्त्र धराये जाने आरम्भ होते हैं जो कि आज अंतिम बार धराये जाते हैं. कल बसंत-पंचमी से वस्त्रों में ज़री का प्रयोग नहीं होगा.
- देव-प्रबोधिनी एकादशी के दिन से प्रतिदिन निज-मंदिर में प्रभु स्वरुप के सम्मुख से शैया मंदिर तक बिछाई जाने वाली लाल तेह भी आज अंतिम बार बिछाई जाएगी.
श्रीजी का सेवाक्रम :–
- आज प्रभु में गेंद, चौगान, दिवला सोने के आते हैं. दिन में दो समय आरती थाली की आती है. आज बसंत-पंचमी के एक दिन पूर्व श्रीजी में शीतकाल की पांचवी चौकी होती है.
- मार्गशीर्ष एवं पौष मास में जिस प्रकार सखड़ी के चार मंगलभोग होते हैं उसी प्रकार शीतकाल में पांच द्वादशियों को पांच चौकी (दो द्वादशी मार्गशीर्ष की, दो द्वादशी पौष की एवं माघ शुक्ल चतुर्थी सहित) श्रीजी को अरोगायी जाती है.
- इन पाँचों चौकी में श्रीजी को प्रत्येक द्वादशी के दिन मंगला समय क्रमशः तवापूड़ी, खीरवड़ा, खरमंडा, मांडा एवं गुड़कल अरोगायी जाती है. आज पांचवी एवं अंतिम चौकी है जिसमें श्रीजी को मंगलभोग में गुड़कल अरोगायी जाती है.
- श्रीजी प्रभु को नियम से गुड़कल वर्षभर में केवल आज अरोगायी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि गुड़कल के द्वारा प्रभु शीत को लुढ़का देते हैं अर्थात आज से प्रतिदिन शीत कम ही होगी.
– भोग विशेष में राजभोग की सखड़ी में श्याम-खटाई, रतालू प्रकार व श्री नवनीतप्रियाजी के घर से सिद्ध होकर पधारी गुड़कल अरोगायी जाती है.
दिन के अनोसर में अरोगायी जाने वाली शाकघर की सौभाग्यसूंठ आज अंतिम बार अरोगायी जाएगी. यद्यपि रात्रि अनोसर में शीत रहने तक प्रतिदिन सौभाग्य सूंठ जारी रहेगी.
– कल बुधवार, 14 फरवरी 2024 को बसंत-पंचमी है और कल श्रीजी में विशेष रूप से नौ दर्शन खुलेंगे. वर्ष में केवल बसंत-पंचमी के दिन ही प्रभु के नौ दर्शन होते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में फुलकशाही ज़री की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- गादी, तकिया, खण्ड पाट एवं चरणचौकी पर पीली बिछावट की जाती है.
- स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को लाल सलीदार ज़री का सूथन, दीपावली वाला फुलकशाही ज़री की चोली, चागदार वागा एवं मोजाजी जड़ाऊ के धराये जाते हैं.
- पटका सुनहरी ज़री का धराया जाता हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) उत्सववत भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- हीरा, पन्ना, माणक, मोती के मिलवा आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हीरा का किरीट पान (शरद वाला) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में उत्सव के हीरा के बड़े मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- उत्सव की हीरे की चोटी बायीं ओर धरायी जाती है.
- श्रीकंठ में नीचे पदक एवं ऊपर हार, माला, दुलड़ा आदि धराये जाते हैं. कली, कस्तूरी आदि सभी माला धरायी जाती है.
- रंग-बिरंगी पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- पट उत्सव का, गोटी जड़ाऊ की आरसी श्रृंगार में सोने की डांडी की एवं राजभोग में चार झाड़ की आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : आज नंदलाल मुखचंद निरख
- राजभोग : बोलत श्याम मनोहर बैठे
- आरती : लटकत चलत जुवती
- शयन : आली री कर श्रृंगार
- मान : झपत प्यारो तेरे गुनन की माला
- पोढवे : रच रच सेज बनाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
संध्याकालीन सेवा :-
- संध्या-आरती दर्शन उपरान्त श्रीकंठ के आभरण, किरीट, टोपी व मोजाजी बड़े किये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल गोल-पाग के ऊपर हीरा की किलंगी व मोती की लूम धरायी जाती है. लूम तुर्रा नहीं धराये जाते.
- श्रीकंठ में छेड़ान के श्रृंगार व मोजाजी रुपहली ज़री के धराये जाते हैं.
- शयन उपरान्त अनोसर के पूर्व खंडपाट, चौकी, पडघा आदि सभी साज स्वर्ण के बदल कर चांदी के आयेंगे.
- चंदुवा श्वेत मलमल का बाँधा जायेगा.
जय श्री कृष्ण
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