व्रज – माघ शुक्ल एकादशी, मंगलवार, 20 फरवरी 2024
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है..
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- डोलोत्सव तक प्रतिदिन श्रीजी प्रभु में राजभोग दर्शन में गुलाल खेल होगा. श्री नवनीतप्रियाजी को ग्वाल व राजभोग दोनों समां में गुलाल खेलायी जाएगी.
- श्री नवनीतप्रियाजी में आज से डोलोत्सव तक फूल-पत्तियों का ही पलना होगा.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- रजत के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को श्वेत रंग का लट्ठा के सूथन, चोली, चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला फागुन का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण फागुन के मीना व स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल टिपारा के ऊपर केसरी गौकर्ण, सुनहरी घेरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में मीना के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- चोटीजी मीना की बायीं ओर धरायी जाती है. कमल माला धराई जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक स्वर्ण के) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर धराई जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती है.
संध्याकालिन सेवा
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर टिपारा रहे लूम-तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : देखियत लाल लाल द्रगन
- राजभोग : अष्टपदी, जुवती वृन्द मध
- आरती : आयो ऋतू राज
- शयन : लाल ललित ललितादिक
- पोढवे : खेलत खेलत पोढ़ी श्री राधे
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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