व्रज – माघ शुक्ल त्रयोदशी, गुरूवार, 22 फरवरी 2024
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है..
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- डोलोत्सव तक प्रतिदिन श्रीजी प्रभु में राजभोग दर्शन में गुलाल खेल हो रहा है. श्री नवनीतप्रियाजी को ग्वाल व राजभोग दोनों समां में गुलाल खिलाई जा रही है.
- श्री नवनीतप्रियाजी में आज से डोलोत्सव तक फूल-पत्तियों का ही पलना होता है.
- आज कपोल पर कमल पत्र नहीं मंडे, रोपणी से मंडे. राजभोग में दुमाला को सब से खिलाया जाता हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- रजत के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज केसरी लट्ठा का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं
- केसरी मलमल का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- लाल रंग के मोजाजी भी धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) फागुण का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी रंग के दुमाला के ऊपर मीना का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. सेहरा पर मीना की चोटी दायीं ओर धरायी जाती है.
- आज त्रवल की जगह स्वर्ण की चंपाकली धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में कस्तूरी, कली एवं कमल माला माला धरायी जाती है.
- लाल एवं पीले पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी (एक मीना के) धराये जाते हैं.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती है.
संध्याकालिन सेवा
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रृंगार श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं.
- दुमाला रहे लूम तुर्रा नहीं आवे.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : सहज प्रीत गोपाले भावे
- राजभोग : अष्टपदी, देखो राधा माधो सरस जोर
- देखो राधा माधो बन विहार, नन्द के द्वारे
- आरती : गिरधर लाल रस भरे खेलत
- शयन : मधुरत वृन्दावन आनंद
- मान : आज बन्यो है बसंत
- पोढवे : खेलत खेलत पोढ़ी श्री राधे
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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