व्रज – फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी, बुधवार, 13 मार्च 2024
आज की विशेषता :- आज गौस्वामी तिलकायत श्री राकेशजी महाराजश्री के जन्मदिवस की नौबत की बधाई बैठती है. राजभोग में फेंट में भर कर गुलाल खिलायी जाती हैं.
- कीर्तनों में बधाई के कीर्तन गाये जाते हैं.
- राजभोग खेल में एक गुलाल व एक अबीर की पोटली प्रभु की कटि पर बांधी जाती है. प्रभु के कपोल भी मांडे जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- रजत के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को लाल रंग के लट्ठा के सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाडे वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
- प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर लगाये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला का (चरणारविन्द तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण श्वेत मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की टिपारा की टोपी के ऊपर मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मीना के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- बायीं और मीना की चोटी धरायी जाती है.
- श्रीकंठ में अक्काजी की दो मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं लाल पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- पट चीड़ का व गोटी फाल्गुन की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्याकालिन सेवा
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े किये जाते हैं.
- टिपारा बड़ा नहीं किया जाता व लूम तुर्रा भी नहीं धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : बरसाने की गोपी मांगन फगुवा आई
- राजभोग : अष्टपदी, हो हो होरी खेले लाल संग
- सुरंगी होरी खेले सांवरो
- आरती : आज बन ठन ब्रज खेले फाग
- शयन : हो हो हो हो होरी
- पोढवे : चले हो भावते रस एन
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
- श्रीजी के कपोल पर गुलाल अबीर से सुन्दर चित्रांकन किया जाता है.
- राजभोग के दर्शनों में भारी खेल होता है और दर्शनार्थी वैष्णवों पर पोटली से गुलाल अबीर उडाये जाते है.
- सायंकालिन भोग दर्शनों के भोग में खेल के साज के भोग अरोगाये जाते है जिसमे सूखे मेवा, फलों तथा दूधघर की सामग्रियों की अधिकता रहती है.
जय श्री कृष्ण
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