व्रज – फाल्गुन शुक्ल पंचमी, गुरूवार, 14 मार्च 2024
आज की विशेषता :- आज के वस्त्र श्रृंगार एच्छिक श्रृंगार है. राजभोग में फेंट में भर कर गुलाल खिलायी जाती हैं.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- रजत के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को केसरी लट्ठा का रंगों की छांट वाला एवं सफ़ेद ज़री की दोहरी किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं कटि-पटका धराये जाते हैं.
- लाल ठाड़े वस्त्र धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
- प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर से कपोल पत्र मांडे जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फाल्गुन के लाल, सफ़ेद मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- पाग एवं कपोल पर अबीर गुलाल से खेल खिलाया जाता है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं लाल पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- पट चीड़ का व गोटी फाल्गुन की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्याकालिन सेवा
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीमस्तक व श्रीकंठ के आभरण बड़े किये जाते हैं.
- शयन समय श्रीमस्तक पर सुनहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : हरि सों खेलन जाय अरी चल
- राजभोग : अष्टपदी, मोहन खेलत होरी
- आरती : खेलत नन्द किशोर ब्रज में
- शयन : रंगन रंग हो होरी खेले लाडिलो
- पोढवे : चले हो भावते रस एन
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
- श्रीजी के कपोल पर गुलाल अबीर से सुन्दर चित्रांकन किया जाता है.
- राजभोग के दर्शनों में भारी खेल होता है और दर्शनार्थी वैष्णवों पर पोटली से गुलाल अबीर उडाये जाते है.
- सायंकालिन भोग दर्शनों के भोग में खेल के साज के भोग अरोगाये जाते है जिसमे सूखे मेवा, फलों तथा दूधघर की सामग्रियों की अधिकता रहती है.
जय श्री कृष्ण
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