व्रज – वैशाख कृष्ण नवमी, गुरूवार, 02 मई 2024
आज की विशेषता :- महाप्रभुजी के उत्सव के आगम के श्रृंगार
- आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का आगम का श्रृंगार धराया जाता है. अधिकतर बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है. यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.
- यद्यपि श्री महाप्रभुजी का प्राकट्योत्सव परसों अर्थात एकादशी को है, कल नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज कृत पांच स्वरूपोत्सव का दिन है और कल प्रभु को नियम का मुकुट व लाल काछनी का श्रृंगार धराया जाता है अतः इस उत्सव का लाल-पीले घेरदार वागा का आगम का श्रृंगार आज नियम से धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में लाल रंग की मलमल की, सुनहरी लप्पा के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज प्रभु को लाल रंग की मलमल का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- उर्ध्व भुजा की ओर कटि-पटका धराया जाता है.
- सभी वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में पन्ना के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाब के पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- पट लाल, गोटी छोटी सोने की व
- आरसी श्रृंगार में सोना की और राजभोग में बटदार आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : सोहेलरा नन्दमहर घर
- राजभोग : एक तुक – ब्रज भयो महर के पूत
- जायो सुत निको, चिर जियो लाल
- आरती : श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे
- शयन : चलो मेरे लाडिले हो
- मान : छांड दे माननी श्याम संग रुठवो
- पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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