व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण छठ, बुधवार, 12 जून 2024
आज की विशेषता :- आज भी श्रीजी को एक विशिष्ट श्रृंगार धराया जायेगा. इस विशिष्ट श्रृंगार को ‘पीत पिछोड़ी’ का श्रृंगार कहा जाता है.
- ज्येष्ठ मास में यह श्रृंगार होना निश्चित है परन्तु इसकी तिथी नियत नहीं है और आज खाली दिन होने के कारण यह श्रृंगार धराया जायेगा.
- आज श्रृंगार दर्शन में केसरी पटका व उत्थापन दर्शन में गुलाबी पटका धराया जाता है.
- इस लीला का सुंदर पद ‘पीत पिछोड़ी कहाँ जु बिसारी…’ भी आज भोग दर्शन में प्रभु समक्ष गाया जाता है.
- इस लीला के अनुसंधान मे आज श्रृंगार दर्शन में केसरी पटका व उत्थापन दर्शन में गुलाबी पटका धराया जाता है. इस लीला का सुंदर पद ‘पीत पिछोड़ी कहाँ जु बिसारी…’ भी आज भोग दर्शन में प्रभु समक्ष गाया जाता है. इस श्रृंगार का एक सुन्दर प्रसंग है कि एक बार श्रीजी प्रभु अष्टछाप कवि श्री गोविन्दस्वामी के साथ खेल रहे थे तब मंदिर से शंखनाद की ध्वनि सुनाई दी और सुनते ही श्रीजी खेल छोड़कर दौड़े और प्रभु का पटका पेड़ मे अटक के फट गया. जब श्री गुंसाईजी ने यह देखा तब आपश्रीने आज्ञा करी कि अब से प्रतिदिन शंखनाद करने के बाद थोड़ी देर ठहर कर ही दर्शन खोलने जिस से प्रभु को श्रम न हो.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में श्वेत रंग की मलमल की बिना किनारी की पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- तीन पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी और तीसरे पडघा पर श्वेत माटी के कुंजा में शीतल जल भरकर पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को सफ़ेद रंग की मलमल की बिना किनारी की धोती एवं केसरी (चंदनिया) रंग का राजशाही पटका धराया जाता है.
- उत्थापन दर्शन में गुलाबी पटका धराया जाता है.
- राजशाही पटका रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होता है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- इसी प्रकार श्वेत पुष्पों और तुलसी की दो मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: देखे री हरि नंगमनंगा विशेष रूप से गाया जाता है.
- मंगला : जै जै श्री सुरजा कालिंदी नंदिनी
- राजभोग : जमुना तट नव निकुंज
- भोग : पीत पिछोड़ी कहाँ जु बिसारी
- आरती : ऐरी अबला तेरे बल हीन
- शयन : आवरी बावरी उजरी पाग
- मान : उठ चल बेग राधिका प्यारी
- पोढवे : दम्पत्ति पोढ़े रस बतिया करत
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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