व्रज – आषाढ़ कृष्ण एकादशी, मंगलवार, 02 जुलाई 2024
आज की विशेषता :- आज योगिनी एकादशी है. आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- सायंकाल उत्थापन दर्शन उपरांत श्रीजी प्रातः धराये श्रृंगार वस्र जैसे ही मोगरे की कलियों के श्रृंगार धराये जाते है.
- विशेष भोग भी अरोगाये जाते है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सेहरा के भाव की चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है. जिसमे एक तरफ श्री स्वामिनीजी और दूसरी तरफ श्री यमुनाजी सेहरा धारण करके श्रीजी की सेवा में दृश्यमान है. पार्श्व भाग में गोपीजन गिरिराजजी की तलहटी में विवाह के मंगलगान करती हुई चित्रांकित है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- तीन पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी और तीसरे पडघा पर श्वेत माटी के कुंजा में शीतल जल भरकर पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज केसरी लाल छापा का मलमल का पिछोड़ा एवं अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है.
- दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं यद्यपि पिछोड़ा में किनारी को भीतर की ओर इस प्रकार मोड़ दिया जाता है कि बाहर दृश्य ना हों.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला का चरणारविन्द तक का ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी लाल छापा का दुमाला के ऊपर मोती का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- दायीं ओर सेहरे की मोती की चोटी धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- कली आदि सभी मालाजी भी धरायी जाती हैं.
- इसी प्रकार श्वेत पुष्पों की एक मोटी मालाजी पीठिका के ऊपर भी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं कटि पर एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : चन्दन चर्चित नील कलेवर
- राजभोग : कदम तर ठाड़े है गोपाल
- आरती : फूल महल में बैठे है माधो
- शयन : चलो क्यों न देखे री खरे दोऊ
- मान : मान को कौन हठ कीजे
- पोढवे : झीनो पट दे ओट पोढ़े हरि
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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