व्रज – आषाढ़ शुक्ल अष्टमी, रविवार, 14 जुलाई 2024
आज की विशेषता :- ऐच्छिक श्रृंगार
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- श्रीजी में आज दाख माडपा के चित्रांकन की सुंदर पिछवाई धरायी जाती है.
- गिरी कन्दरा पर अंगूर बेलों का चित्रांकन है और निकुंजलीला के सुन्दर भाव है.
- जिसमें श्री स्वामिनीजी, श्री यमुनाजी एवं श्री गोपीजन श्रीप्रभु की सेवा में रत है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा तक प्रतिदिन राजभोग दर्शन में प्रभु के सम्मुख चांदी का रथ रखा जाता है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को अधरंग (गहरा गुलाबी) के मलमल की लेस वाली परदनी धराई जाती है
- ठाड़े वस्त्र आज नहीं धराये जाते है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) ऊष्णकालीन हलका श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर अधरंग की गोल पाग धराई जाती है जिसके ऊपर सिरपेंच, चमकनी गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, लाल एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. पीले पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति धराई जाती है
- श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हकीक की पधरायी जाती है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : वृंदावन कनक भूमि
- राजभोग : पावस नट् नट्यो
- आरती : बैठे फूल महल में दोऊ
- शयन : आज कुछ कुंजन में बरखा सी
- मान : मान न कीजे माननी
- पोढवे : रावटी सुख सेज
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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