व्रज – श्रावण कृष्ण प्रतिपदा, सोमवार, 22 जुलाई 2024
आज की विशेषता :- हिंडोलना रोपण की बधाई आज से श्रीजी में श्रावण मास की सेवा प्रारंभ।
स वर्ष हिंडोलना रोपण आज श्रावण कृष्ण प्रतिपदा को श्रवण नक्षत्र में शुभ मुहूर्त में उत्थापन के समय किया जायेगा. कल प्रभु को उष्णकाल के अंतिम मोती के आभरण धराये गये. आज से प्रभु को मंगला में उपरना धराया जायेगा. आज से ठाड़े वस्त्र धराये जायेंगे.
- श्रीजी में सेवाक्रम – हिंडोलना रोपण का पर्वात्मक उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- पुष्टिमार्ग में ऊष्णकाल पूर्णतया विदा हो जाता है. प्रातःकाल प्रभु के शंखनाद के पश्चात सर्वप्रथम सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी आदि सभी साज चांदी के बड़े (हटा) कर सोने के श्री ठाकुरजी के सम्मुख रखे जाते हैं. केवल दो गुलाबदानी, माटी के झारीजी का पड़घा एवं त्रस्टीजी चांदी के रहते हैं. चंदन बरनी पर श्वेत के स्थान पर लाल वस्त्र चढ़ाया जाता है. पंखा, चंदवा लाल मखमल के और टेरा आदि साज रंगीन साजे जाते हैं.
- चारों समय (मंगला, राजभोग संध्या व शयन) आरती थाली में की जाती है. आज से आरती के दो खंड सजाये जाते हैं. झारीजी में दिनभर यमुनाजल भरा जाता है.
- मंगल भोग के पश्चात ठाकुरजी को चन्दन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) आदि से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.
- श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से चारोली (चिरोंजी) के लड्डू एवं केशरी बासोंदी (रबड़ी) की हांड़ी का भोग अरोगाया जाता है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता, सखड़ी में मीठी सेव व केशरयुक्त पेठा अरोगाये जाते हैं. - संध्या-आरती समय हिंडोलना रोपण के पश्चात उत्सव भोग में विशेष रूप से खस्ता शक्करपारा, छुट्टी बूंदी, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बर्फी, दूधपूड़ी (मलाई पूड़ी), केशर युक्त बासोंदी (रबड़ी), जीरा युक्त दही, केसरी-सफेद मावे की गुंजिया, घी में तला हुआ चालनी का सूखा मेवा, विविध प्रकार के संदाना (आचार) के बटेरा, विविध प्रकार के फल, शीतल आदि अरोगाये जाते हैं.
- ऊष्णकाल की समाप्ति और श्रावण मास के आरम्भ के साथ आज से लिचोई-आमरस बंद हो जाता है एवं चूरमा-बाटी, मानभोग अथवा सीरा (हलवा – गेहूं के आटे और मूंग की दाल का) अरोगना प्रारंभ हो जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा के तहत श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
- आज से चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट नहीं की जाती.
- सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी आदि जड़ाव सोने के रखे जाते हैं.
- मात्र दो गुलाबदानी, माटी के झारीजी का पड़धा एवं त्रस्टीजी चांदी के रहते हैं.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
- वस्त्र
- वहीँ वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सुनहरी लप्पा का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के होते हैं. आज की सेवा ललिताजी एवं चन्द्रावली जी के भाव से होने के कारण लाल अनुराग के रंग के वस्त्र धराये जाते हैं.
- श्री स्वामिनीजी के भाव से पीले ठाड़े वस्त्र धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार सेवा में प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- उत्सव के हीरे के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- नीचे पदक,ऊपर हीरा, पन्ना,मानक मोती के हार,माला,दुलड़ा धराये जाते हैं.
- कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर लाल (हरी बाहर की खिडकी की) छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में माणक के चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
- रंग-बिरंगी पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- पट उत्सव का, गोटी सोने की जाली की पधराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोने की डांडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : आयी जू श्याम जलद घटा
- राजभोग : सावन दुल्हे आयो
- हिंडोरना : श्री गोविन्द स्वामी के चार पद
- झूलन आयी ब्रजनार 2. राधे मोहन झुलत
- तेसोई वृन्दावन तेसीये 4. रंग मच्यो सिंहद्वार
- शयन : सो सावन आयो
- मान : तू चल नन्द नंदन बन बोली
- पोढवे : तुम पोढो हो सेज बनाऊं
विशेष : आज से श्रावण कृष्ण 7 तक प्रतिदिन बाल लीला के पद। राजभोग में मल्हार व सांझ को हिंडोरा के पद गाये जाते है। - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
………………………