व्रज – श्रावण कृष्ण द्वितीया, मंगलवार, 23 जुलाई 2024
आज की विशेषता :- आज के श्रृंगार कल के हिंडोलना रोपण के श्रृंगार का परचारगी श्रृंगार है.
श्रीजी में होने वाले अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन उपरांत उस उत्सव का परचारगी श्रृंगार धराया जाता है. इसमें सभी वस्त्र एवं श्रृंगार लगभग सम्बंधित उत्सव की भांति ही होते हैं. इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं. परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज (चिरंजीवी श्री विशाल बावा) अगर यहाँ बिराज रहे होवे तो वे होते हैं. आज का श्रृंगार चन्द्रावलीजी की ओर से किया जाता है अतः कल के उलट वस्त्र पीले धराये जाते हैं और ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- श्रीजी में आज आज पीले रंग की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज पीले रंग की मलमल का रुपहरी लप्पा का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के माणक के धराये जाते हैं.
- कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
- श्रीकंठ में नीचे पदक, ऊपर हीरा, पन्ना, माणक, मोती के हार व दुलड़ा धराया जाता है.
- श्रीमस्तक पर पीले रंग की (आसमानी बाहर की खिडकी की) छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, पन्ने की लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, माणक के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी एक हीरा के धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उत्सव का और गोटी स्वर्ण की छोटी पधरायी जाती है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में आरसी चार झाड़ की और राजभोग में आरसी सोने की डांडी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : आज में देखे कुंवर कन्हाई
- राजभोग : अंग अंग घन कांति
- हिंडोरा : जुगल किशोर हिंडोरे, नटवर सुरंग हिंडोरे,
सुख हिंडोरे झुलाऊं, झूलन के दिन आये - शयन : ओल्हर आई हो घन घटा
- मान : कौन करे पटतर तेरी गुन
- पोढवे : चांपत चरण मोहन लाल
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में चांदी के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
जय श्री कृष्ण
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