व्रज -श्रावण शुक्ल सप्तमी (द्वितीया), सोमवार, 12 अगस्त 2024
आज की विशेषता :- आज श्रीजी में बगीचा उत्सव होगा.पुष्टिमार्ग में बगीचा उत्सव वर्ष भर में दो बार श्रावण शुक्ल पक्ष में एवं फाल्गुन शुक्ल एकादशी को बाल भाव व मधुर भाव से मनाया जाता है. आज के बगीचे में मधुर भाव प्रधानता है.
श्रीजी आज का सेवाक्रम –
- उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को हल्दी से मांडा जाता हैं. आशापाल के पत्तों की सूत की डोरी से बनी वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- आज दिन भर सभी समय झारीजी मे यमुनाजल भरा जाता है.
- दो समय की आरती थाली में की जाती है.
- गेंद, चौगान, दीवला आदि सोने के आते हैं.
- आज श्रीजी में नियम से मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
- जैसा कि हम जानते है यह श्रृंगार प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं शरद-रास, दान और गौ-चारण के भाव से धराया जाता है.
- आज गोपीवल्लभ अर्थात ग्वाल भोग में विशेष रूप से मनोहर के लड्डू एवं दूधघर में सिद्ध केशरयुक्त बासोंदी की हांड़ी अरोगायी जाती है.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख का रायता अरोगाया जाता है
- सखडी में मीठी सेव, केसर युक्त पेठा अरोगाया जाता हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज चित्रांकन वाली पिछवाई जिसमे वर्षा ऋतु में बादलों की घटा छायी हुई है. कुंज के द्वार पर नृत्य करते मयूर है, धराई जाती है.
- गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल एवं पीले रंग के धनक (मोठडाभात) के लहरिया की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं गाती का पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र सफेद डोरीया के धराये जाते है.
- श्रृंगार
- आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची आदि सभी आभरण हीरा की प्रमुखता वाले मोती, माणक, पन्ना एवं जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर सोने का रत्नजड़ित, नृत्यरत मयूरों की सज्जा वाला मुकुट एवं मुकुट पर माणक का सिरपेंच एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- आज नीचे पदक ऊपर हार माला धराए जाते हैं. साथ ही दो पाटन वाले हार धराए जाते हैं.
- श्रीकंठ में कली,कस्तूरी आदि की माला आती हैं.
- हास,त्रवल नहीं धराए जाते हैं. हीरा की बग्घी धरायी जाती हैं.
- आज सभी समा में पुष्पों की माला एक एक ही धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- खेल के साज में आज पट उत्सव का गोटी नाचते मोर की आती है.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : राधे रूप की घटा
- राजभोग : श्री वृदावन भुव कुंजादिक
- एरी यह नागर नन्दलाल कुंवर
- हिंडोरा : आज तो हिंडोरे झूले
- आज लाल झुलत रंग
- फूल को हिंडोरो बन्यो
- झोटा तरल भये
- शयन : मोर मुकुट की लटकन
- श्रीजी की भोग सेवा के दर्शन :
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी कमलचौक में फूल के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं.
- श्री नवनीत प्रियाजी बगीचा में हिंडोलने में विराजित होकर झूलते है.
जय श्री कृष्ण
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