प्रीत बंधी श्री वल्लभ पद सों…

नाथद्वारा 18 अप्रैल ( दिव्यशंखनाद) | श्रीमद वल्लभाचार्यजी के प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में श्री वल्लभ विलासमें आयोजित हवेली संगीत स्पर्धा में संभागी ने जब राग असावरी, ताल धमाल, छाप
प्रीतम हरिराय ‘प्रीत बंधी श्री वल्लभ पद सों और न मन में आवे हो’ पद का गान किया तो श्रोताओं का मन वल्लभ के प्रति प्रीति भाव से भर गया।
पुष्टि प्रसारअधिकारी दयाशंकर पालीवाल ने बताया कि नगर एवं बाहर से आये विविध वर्गों के प्रतिभागियों ने पुष्माटिर्गीय हवेली संगीत विधा में अष्ठ सखाओं के पदों की सुमधुर प्रस्तुति की। आठ से अस्सी वर्ग के संभागियों में से कुछ कलकत्ता व मुम्बई से आये थे।
पखावज, हारमोनियम के साथ राग सो-सजयी छाप नन्ददास और पद छोटो सो कन्हैया, श्रीवल्लभ रूप सुरंगे, केसर की, श्री लक्ष्मण नन्दन जय जय जय, भरोसो दृढ इन चरणन केरो, जो पे श्री वल्ल्भ प्रकट न होते वसुधा रहती सूनी आदि पदों के गान ने श्रोताओं को भक्ति रस सेसरोबार कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कीर्तनकारों के मुखिया ब्रजेश कुमावत ने की जबकि मुख्य अतिथि मन्दिर के खास दफ्तर के पुष्टि सेवी निरंजन सना-सजय्य थे।