‘श्रम संबल’ से निर्माण श्रमिकों के जीवन में आया बेहतर बदलाव

राजसमंद ( दिव्यशंखनाद ) 28 अप्रैल। एक लोककल्याणकारी सरकार का ध्येय तब ही साकार हो पाता है जब समाज के सबसे नीचले तबके और निर्धन वर्ग के लोगों को सही मायने में राहत मिले। जिला प्रशासन राजसमंद ने इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए जिले में बड़े स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन को साकार किया है। यह हुआ है प्रशासन के नवाचार ‘श्रम संबल’ से।
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के अंत्योदय के ध्येय को साकार करने की दिशा में जिला कलक्टर श्री बालमुकुंद असावा के निर्देशन में जिला प्रशासन द्वारा निर्धन, पात्र एवं जरूरतमंद श्रमिकों के जीवन में बेहतर बदलाव लाने की दृष्टि से 1 अक्टूबर, 2024 से प्रोजेक्ट श्रम सम्बल प्रारंभ किया गया था | जिसके व्यापक दूरगामी परिणाम प्राप्त हुए।
.कलेक्ट्रेट के डीओआईटी वीसी कक्ष में कलक्टर असावा ने प्रेस वार्ता में उपलब्धियों को साझा किया। इस दौरान एडीएम श्री नरेश बुनकर, जिला परिषद सीईओ श्री बृजमोहन बैरवा, श्रम कल्याण अधिकारी श्री उमेश राईका, सीडीईओ श्री मुकुट बिहारी शर्मा, डीईओ (प्रारम्भिक)श्री राजेन्द्र गग्गड़, डीईओ (माध्यमिक) श्री नूतन प्रकाश जोशी आदि उपस्थित रहे।

यह रहे प्रमुख लक्ष्य:
अभियान के तहत राज्य सरकार के भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल द्वारा संचालित ‘निर्माण श्रमिक शिक्षा एवं कौशल विकास योजना‘ में जिले के हर पात्र एवं वंचित निर्माण श्रमिक के बच्चों को योजना में जोड़ते हुए स्कॉलरशिप से लाभान्वित करने को प्राथमिक घटक के रूप में रख कर मिशन मोड पर कार्य किया गया।
53 लाख के मुकाबले 6 करोड़ छात्रवृति स्वीकृत:
जहां वर्ष 2023-24 में 571 बच्चों को मात्र 53.06 लाख रु. की छात्रवृत्ति स्वीकृत हुई थी वहीं 2024-25 में 6455 बच्चों को 6.07 करोड़ रु. की छात्रवृत्ति स्वीकृत हुई। यह आंकड़ा गत वर्ष की तुलना में दस गुना से भी अधिक था। ये वे बच्चे थे इन्हें सरकारी मदद की दरकार थी। अब छात्रवृति मिलने से इन्हें शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहन मिलेगा और ये बेहतर ढंग से अपनी पढ़ाई जारी रख पाएंगे।
अभियान के दूसरे घटक के रूप में प्रोजेक्ट श्रम सम्बल के तहत गत वर्षों में निरस्त हुए श्रमिक कार्ड को पुनः आवेदन लेकर जारी करने का कार्य मिशन मोड पर किया गया। वर्ष 2024-25 में ऐसे 1100 निरस्त श्रमिक कार्ड मार्च अंत तक पुनः जारी कर दिए गए जो गत वर्षों में विभिन्न कारणों से निरस्त कर दिए गए थे।

इस तरह आगे बढ़ा कारवां:
शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग तथा श्रम विभाग के समन्वय से अभियान ने गति पकड़ी। शिक्षा विभाग द्वारा हर पंचायत में सर्वप्रथम निर्माण श्रमिकों को चिन्हित कर उनके बच्चों के स्कॉलरशिप फॉर्म एकत्रित कर ग्राम पंचायत कार्यालयों में दिए गए।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से पात्र श्रमिकों को 90 दिन का कार्य प्रमाण पत्र तैयार कर फॉर्म संबंधित विद्यालय को पुनः लौटाए गए। शिक्षा विभाग द्वारा समस्त विद्यालयों में अभियान हेतु नियुक्त नोडल छात्रवृति प्रभारी द्वारा ई-मित्र पर आवेदन ऑनलाइन जमा करवाने में छात्र-छात्राओं का सहयोग किया गया। अंत में श्रम विभाग द्वारा ऑनलाइन प्राप्त प्रकरणों की अविलम्ब संवीक्षा कर स्वीकृति प्रदान की गई।
कार्यदिवसों एवं राजकीय अवकाशों में राउण्ड द क्लॉक उक्त तीनों विभागों ने तन्मयता से अभियान में योगदान दिया। हर सप्ताह सोमवार/मंगलवार को आयोजित साप्ताहिक बैठक में अभियान की सतत समीक्षा की गई।