भगवान विष्णु ने सुमुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए अमृत को देवताओं में वितरीत करने के लिये धारण किया मोहिनी रूप

नाथद्वारा ( दिव्य शंखनाद) 8 मई। हिन्दू मान्यताओं में कई ऐसे व्रत, पूजा-पाठ एवं उपासनाओं का उल्लेख किया गया है जिनका अनुसरण कर के मनुष्य अपने पापों से मुक्ति पा सकता है। मनुष्यों अपने पिछले जन्म के पापों का प्रायश्चित भी कई व्रतों के द्वारा कर सकता है। इन्हीं पापों से मुक्ति दिलाने एंव मोक्ष की प्राप्ति हेतु मोहिनी एकादशी व्रत की अत्यंत महीमा है। हिन्दू मान्यतानुसार इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पिछले एवं वर्तमान के पापों से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही इस व्रत को करने से बड़े से बड़े दुख, वियोग से भी छुटकारा मिल सकता है।
मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इसे मोहिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि वैशाख शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने सुमुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए अमृत को देवताओं में वितरीत करने के लिये मोहिनी का रूप धारण किया था। क्योंकि जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत प्राप्ति के बाद देवताओं व असुरों में अमृत लेने के लिए आपाधापी मच गई थी ।
ताकत के बल पर देवता असुरों को हरा नहीं सकते थे इसलिये चालाकि से भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर असुरों को अपने मोहपाश में बांध लिया और सारे अमृत का पान देवताओं को करवा दिया। जिससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया। वैशाख शुक्ल एकादशी के दिन चूंकि यह सारा घटनाक्रम हुआ इस कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा गया। मोहिनी एकादशी व्रत पूरे भारत में किया जाता है।

मोहिनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से पुण्य, स्वास्थ्य और शांति के लिए किया जाता है।
व्रत और पूजन विधि :
प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें।
पीले पुष्प, तुलसी दल, धूप, दीप और फल अर्पित करें।
विष्णु सहस्त्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
दिनभर उपवास रखें — फलाहार किया जा सकता है।
रात्रि को भगवान की कथा सुनें और जागरण करें।
द्वादशी के दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
व्रत के लाभ :
मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति
पापों का क्षय और पुण्य में वृद्धि
पारिवारिक सुख, रोगों से मुक्ति और वैवाहिक जीवन में मधुरता व मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व :
मोहनी एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। इसे भगवान श्रीराम ने सीता माता के वियोग मे किया था तब उन्होंने रावण का संहार किया और सीता माता को रावण के बंधन से छुड़ाया था। वहीं इस व्रत को युधिष्ठर ने भी किया था। जिससे उनके सारे दुख-दर्द क्षय हो गए। मोहिनी एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति की चिंताएं और मोह माया खत्म हो जाती है। व्यक्ति सारे बंधनो से मुक्त हो जाता है। ईश्वर की कृपा बरसने लगती है। पाप का प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है। व्यक्ति हर तरह की दुर्घटनाओं एंव विपदाओं से सुरक्षित रहता है। इस व्रत को करने से 100 गाय दान करने का पुण्य प्राप्त होता है। व्यक्ति सीधा स्वर्गलोक में स्थान पाता है।