आचार्य श्रीरणछोडलालजी के नेतृत्व में नव दिवसीय “वाक्पति ज्योति रसोत्सव”

नाथद्वारा ( दिव्यशंखनाद ) 8 मई | श्रीवल्लभाचार्य का उत्सव पहले दिन २४/४/२५ को धूमधाम से मनाया गया | प्रभु के विविध मनोरथ में पलना, नन्दोत्सव और फूलबंगला सिद्ध किए गये| हाथी घोडा बग्गी छत्र चमर निशान डंका धजा पताका के साथ करीब पांच हजार वैष्णवों के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई | जयघोष से गूँजते हुए यात्रा के अहमदाबाद में गोस्वामी हवेली से खाडिया-रायपुर – माणिक चौक – गांधी मार्ग में ठेर ठेर स्वागत हुए| अनेक राजकीय, व्यापारिक और धार्मिक विभूतियाँ शामिल हुईं |
वेणु गीत कथा :
२५/४ से १/२ तक कर्दम शास्त्री द्वारा वेणुगीत का रसपान कराया गया| आचार्य रणछोडलालजी ने भी नित्य सुबोधनी व्याख्यान आधारित विद्वत्तापूर्ण प्रवचन किए| निमंत्रित संत महंतो ने भी उद्बोधन किए|

प्रभु सुखार्थ मनोरथ :
२४/४ से २/५ तक श्रीजी मनोरथ में २५ को बडे मनोरथ विनियोग किया गया जिसमें अनेकों प्रकार के व्यंजन भोग लगाए गये । तदुपरांत फूलफाग, आम्रकुंज, नवनिकुंज, पनघट, चंदन बंगला, शीतल सदन और कमलभवन की झाँकी विलक्षण हुईं ॥ २/५ के रोज नटवरप्रभु के पाटोत्सव पर पलना नन्दोत्सव, तिलक आरती और कमल भवन का मनोरथ आयोजित हुआ ॥ तदुपरांत वैष्णव समाज ने कीर्तन भजन करते हुए माला पहरावनी मनोरथ में हजारो की संख्या में भाग लिया ॥ मंडाण के अंतर्गत हर रोज़ ९ दिनों तक २००० वैष्णवों तथा क्षेत्र के रहीसो ने मंदिर की तरफ से महाप्रसाद भोजन लिया ॥
कुंद कलार्पण :

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रेणीयां आचार्य गोपीनाथजी के २५१ वें वर्ष पर चरणों में अर्पित की गई ॥ दिनांक २५-४ से १/५ तक विविध कार्यक्रमों में – जलसो टीम द्वारा वाचिकम् नाट्य, संध्या पुरेचा की मुंबई स्थित शिष्याओं- कृष्ण स्तुति वृंद द्वारा भरतनाट्यम् नृत्य, वृंदावन की श्रीदर्शनी द्वारा कर्णाटकी गायन, स्मिता शास्त्री (नर्तन स्कूल) की शिष्याओं द्वारा कुच्चीपूडी नृत्य, उज्जेन के अभिषेक व्यास द्वारा शास्त्रीय स्पेनिश गिटार वादन, भारत के शीर्ष कलाकारों में विज्ञ पं.उल्हास कशालकर द्वारा शास्त्रीय संगीत और कु.राधिका द्वारा ख्याल गायन प्रस्तुत किया गया॥
कई विशिष्ट अतिथि ने की शिरकत :

संपूर्ण नवदिवसीय कार्यक्रम में जयेन्द्र जादव(महापात्र-साहित्य अकादमी), राम मोरी(लेखक), जोरावरसिंह जादव(उपाध्यक्ष- संगीत नाटक अकादमी), संध्या पुरेचा (अध्यक्ष- संगीत नाटक अकादमी), जागृति ठाकोर(वरिष्ठ अभिनेत्री ), भाविनी जानी(वरिष्ठ अभिनेत्री), जितेंद्र ठक्कर (वरिष्ठ अभिनेता), तारिका त्रिपाठी(अभिनेत्री), कशिश राठौड(अभिनेत्री), राजेन्द्रशुक्ल (कवि), बिजोय शिवराम(नृत्यविद), विराज अमर(शा. संगीतकार), महेन्द्र टोके(शा. संगीतकार), विकास परिख (शा. संगीतकार), श्वेतकेतु वोरा (शा. संगीतकार), भाग्येश झा (अध्यक्ष- गुजरात साहित्य अकादमी) आदि सांस्कृतिक विभूतियां उपस्थित रहीं॥ ख्याति प्राप्त संतों में बडौदा के द्वारकेशलालजी महाराज, शरणकुमारजी, चैतन्य शंभु महाराज, अशोक रावल (वी एच पी), प्रवीण तोगडिया( एएचपी अध्यक्ष)आदि तथा कई राजकीय सांसद, पार्षद और होद्दा प्राप्त विभूति शामिल हुई ॥
”रागांगार्णवरत्न” ग्रंथ विमोचन :

२६/४/२५ – सायं ८ः३० बजे कुंदक्लार्पण पूर्व आचार्य रणछोडलालजी की शास्त्रीय संशोधन पूर्ण नवाचार से युक्त दो रचनाओं पर आधारित “रागांगार्णवरत्न” का विश्लेषण विमोचन किया गया॥ अहमदाबाद युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ लक्ष्मी श्रीराम और डॉ आदित्य चतुर्वेदी ने आंग्ल भाषा में यह लेखन किया जिसे इस पुस्तक में हिंदीऔर गुजराती में भी प्रकाशित किया गया ॥ इस ग्रंथ में कई विद्वानों के प्रमाण पत्र भी शामिल है ॥
ग्रंथ का लोकार्पण संगीत नाटक अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उपाध्यक्ष डॉ संध्या पुरेचा तथा जोरावर सिंह जादव जी के करकमलों से हुआ ॥ सभी ने रणछोडलालजी के इस महान योगदान की सुंदर शब्दों से प्रशंसा की ॥
आचार्य गोपीनाथजी प्रवेश द्वार का खात मूर्हुत :
३०/४/२५ -११ः३० बजे गोस्वामी हवेली के निकट रीलिफरोड पर झवेरीवाड नाके पर हेरिटेज गेट का खात मूर्हुत आचार्य श्रीरणछोडलालजी के हाथों तथा वरिष्ठ नेता सुरेंद्र बक्षी की हाजरी में किया गया॥
यह निर्माण कार्य आचार्य गोपीनाथजी को २५१ वे वर्ष पर समर्पित रहेगा॥ आचार्य रणछोडलालजी की प्रेरणा से यह कार्य पार्षद नीरव बक्षी व माधवी ध्रुव के बजट से किया जा रहा है॥