
नई दिल्ली (दिव्य शंखनाद) 14 मई| न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह देश की न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले पहले बौद्ध बन गए हैं।
वो मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का स्थान लेंगे| मंगलवार को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ। उनका कार्यकाल छह महीने से थोड़ा अधिक का होगा। वो 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे, जब उनकी आयु 65 वर्ष हो जाएगी।
न्यायमूर्ति गवई अनुसूचित जाति समुदाय से न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन के बाद इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे व्यक्ति भी हैं। 1950 में अपनी स्थापना के बाद से, सर्वोच्च न्यायालय में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से केवल सात न्यायाधीश ही रहे हैं।
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। उन्होंने 16 मार्च 1985 को अपनी वकालत शुरू की। उन्होंने अपने शुरुआती साल में पूर्व महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के जज बैरिस्टर राजा एस. भोसले के साथ 1987 तक काम किया। इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की।
जस्टिस बीआर गवई 1990 के बाद मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में प्रैक्टिस की। इसके बाद नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए भी वो स्थायी वकील रहे। इसके अलावा, उन्होंने सीकोम, डीसीवीएल जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं, निगमों तथा विदर्भ क्षेत्र की कई नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से पैरवी की|