सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं के बढ़ते मामले पर जताई चिंता

नई दिल्ली 23 मई| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोटा शहर में छात्रों की आत्महत्याओं के बढ़ते मामले को लेकर राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने स्थिति को गंभीर बताया। जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि इस साल अब तक कोटा से छात्रों की आत्महत्या के 14 मामले सामने आए हैं।
क्या है पूरा मामला
4 मई को NEET एग्जाम से कुछ ही घंटे पहले कोटा के हॉस्टल में 17 साल की छात्रा का शव मिला था। 4 मई को ही, IIT खड़गपुर में पढ़ने वाले 22 साल के स्टूडेंट ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली थी। इन्हीं दोनों मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को स्वतः संज्ञान लिया था।
IIT खड़गपुर सुसाइड को लेकर कोर्ट ने 14 मई को कहा था वो सिर्फ यह पता लगाने के लिए संज्ञान ले रहे हैं कि प्रशासन ने ‘अमित कुमार एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य’ मामले में जारी कोर्ट के निर्देशों का पालन कर FIR दर्ज कराई है या नहीं।
वहीं, कोटा में हुए सुसाइड को लेकर कोर्ट ने जवाब मांगा था कि FIR दर्ज क्यों नहीं की गई। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने ये सुनवाई की थी। इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश भी दिया था कि मेंटल हेल्थ और सुसाइड प्रिवेंशन के लिए बनने वाली नेशनल टास्क फोर्स यानी NTF के गठन के लिए 20 लाख रुपए दो दिन में जमा कराएं
जस्टिस पारदीवाला ने राजस्थान राज्य की ओर से पेश वकील से पूछा कि एक राज्य के तौर पर आप क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और वह भी केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने एक राज्य के तौर पर इस पर विचार नहीं किया?
इस पर वकील ने कहा कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए राज्य में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। शीर्ष अदालत आईआईटी, खड़गपुर में पढ़ने वाले 22 साल के छात्र की मौत के मामले की सुनवाई कर रही थी। छात्र 4 मई को अपने छात्रावास के कमरे में लटका हुआ पाया गया था।
कोर्ट में एक अन्य मामले की भी सुनवाई कर रही थी, जिसमें नीट की तैयारी कर रही एक लड़की कोटा में अपने कमरे में लटकी हुई पाई गई थी। वह अपने माता-पिता के साथ रहती थी। पीठ को पता चला कि आईआईटी, खड़गपुर के छात्र की मौत के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने 8 मई को दर्ज की गई प्राथमिकी में चार दिन की देरी पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा कि इन बातों को हल्के में न लें। ये बहुत गंभीर बातें हैं। छात्रा के सुसाइड करने के बाद FIR क्यों नहीं लिखी गई? वकील ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और SIT को आत्महत्याओं के सभी मामलों के बारे में पता है।