पता मिलने पर 50,000 रुपए देने का वादा किया गया
नई दिल्ली | पंजाब कांग्रेस यूनिट में जारी ‘कलह’ के बीच पूर्व मंत्री और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के ‘लापता’ होने के पोस्टर उनके ही विधानसभा क्षेत्र में देखे गए. पोस्टर पर सिद्धू का ‘पता मिलने’ पर 50,000 रुपए देने का वादा किया गया है. नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से विधायक हैं. पोस्टर लगाने वालों का आरोप है कि सिद्धू अपने क्षेत्र में दिखाई नहीं देते.
यह पोस्टर एक एनजीओ द्वारा चिपकाया गया है जिसका आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू लोगों से किए गए विकास के वादों को भूल गए हैं. एनजीओ ने दावा किया है कि वह लंबे समय से अपने विधानसभा में नहीं दिखे हैं. पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
यह पहली बार नहीं है, जब सिद्धू के लापता होने का पोस्टर उनकी विधानसभा में देखा गया है. दो साल पहले, जुलाई 2019 में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के एक नेता ने पूरे अमृतसर में उनके ‘लापता’ होने का पोस्टर लगाया था और उसमें लिखा गया था कि जो भी विधायक पता लगाएगा, उसे 2,100 रुपए और पाकिस्तान की एक यात्रा इनाम के तौर पर मिलेगी. वहीं 2009 में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सिद्धू के ‘लापता’ होने का पोस्टर लगाया था, तब वो बीजेपी से सांसद थे.
पंजाब यूनिट में चल रही कलह को दूर करने के लिए बनाई गई 3 सदस्यीय समिति के सामने मंगलवार को सिद्धू पेश हुए. मीटिंग के बाद उन्होंने कहा कि सच को दबाया जा सकता है, लेकिन हराया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा, “मैं यहां पार्टी हाई कमान के बुलाने पर आया और पार्टी की स्थिति के बारे में उन्हें बताया. मैंने यहां पंजाब के लोगों की आवाज को रखा. मेरा रुख वही रहेगा और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा. पंजाब के लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार उन्हें मिलना चाहिए.”
इस समिति के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे हैं. इसके अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल हैं. पिछले कुछ समय से नवजोत सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर लगातार निशाना साध रहे हैं. दोनों नेताओं के बीच पिछले कुछ महीनों में दो बार बैठक भी हुई, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा 2015 में फरीदकोट के कोटकपुरा में गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा गोलियां चलाए जाने के मामले में जांच रिपोर्ट खारिज किए जाने के बाद सिद्धू सरकार को घेर रहे हैं. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मामले की जांच के लिए नए सिरे से एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन करे. अप्रैल में सिद्धू ने मांग की थी कि मामले की एसआईटी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए.
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मई 2019 में सिद्धू पर स्थानीय सरकार विभाग को ”सही तरीके से नहीं संभाल” पाने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि इसके कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शहरी इलाकों में ”खराब प्रदर्शन” किया. इस आरोप के बाद से दोनों नेताओं के संबंधों में तनाव पैदा हो गया था. मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान सिद्धू से अहम विभाग ले लिए गए थे, जिसके बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था और वह कांग्रेस की सभी गतिविधियों से दूर हो गए थे.
नवजोत सिंह सिद्धू ने फरवरी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी. इसके बाद पार्टी में सिद्धू की सक्रिय भूमिका को लेकर चर्चा होने लगी थी. पंजाब विधानसभा चुनाव से चुनाव से पहले पार्टी दोनों नेताओं के बीच की कड़वाहट को खत्म करना चाहती है. कुछ समय पहले अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को चुनौती दी थी कि वे उनके खिलाफ पटियाला से अगला चुनाव लड़ें.