व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी, बुधवार, 09 जून 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता : पीत पिछोड़ी के श्रृंगार और ऊष्णकाल का प्रथम अभ्यंग
- आज श्रीजी को एक विशिष्ट श्रृंगार धराया जाता है. इस विशिष्ट श्रृंगार को ‘पीत पिछोड़ी’ का श्रृंगार कहा जाता है. ज्येष्ठ मास में यह श्रृंगार होना निश्चित है परन्तु इसकी तिथी नियत नहीं है और आज खाली दिन होने के कारण यह श्रृंगार धराया जाता है.
- इस भाव से आज श्रृंगार दर्शन में केसरी पटका व उत्थापन दर्शन में गुलाबी पटका धराया जाता है. इस लीला का सुंदर पद ‘पीत पिछोड़ी कहाँ जु बिसारी…’ भी आज भोग दर्शन में प्रभु समक्ष गाया जाता है.
- इसके साथ ही आज श्रीजी में ऊष्णकाल का प्रथम अभ्यंग होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह सातो स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं. अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं. अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.
जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन सामान्यतः चित्रांकन की कमल के फूल वाली पिछवाई धराई जाती है एवं गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं. जिस दिन अभ्यंग और शीतल स्नान हो उस दिन शयनभोग की सखड़ी में विशेष रूप से विविध प्रकार के मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि अरोगाये जाते हैं.
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - श्रीजी में आज सफेद रंग के मलमल पर कमल के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्वेत रंग की मलमल की बिना किनारी की धोती एवं केसरी (चंदनिया) रंग का राजशाही पटका धराया जाता है. राजशाही पटका रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होता है. उत्थापन में यह पटका बड़ा कर के गुलाबी पटका धराया जाता है.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्वेत पुष्पों और तुलसी की दो मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : जे जे श्री सुरजा कालिंदी नंदिनी
- राजभोग : जमुना तट नव निकुंज
- आरती : ऐरी अबला तेरे बल हीन
- शयन : आवरी बावरी उजरी पाग
- मान : उठ चल बेग राधिका प्यारी
- पोढवे : दंपति पोढ़े रस बतियां करत
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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