व्रज – आषाढ़ शुक्ल तेरस, गुरुवार, 22 जुलाई 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता : ऋतू के आखिरी आड़बंद के श्रृंगार
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन :
- श्रीजी में आज श्वेत मलमल के वस्त्र की बिना किनारी वाली पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को श्वेत रंग का मलमल का आड़बंद धराया जाता है. यह आड़बंद इस ऋतू में आज आखिरी बार धराया जाता है. आड़बंद भी बिना किनारी का होता है.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की ऊपर छोर व नीचे लटकन वाली गोल पाग के ऊपर सिरपैंच एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- वहीं दो सुन्दर माला हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : ऐसी ऋतू सदा सर्वदा
- राजभोग : आयोरी पावस दल साज गाज
- आरती : मुरली तू जो गोपाले भावे
- शयन : लाल माई भीजत आए
- मान : यह ऋतू रुसवे की नाही
- पोढवे : रावटी सुख सेज
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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