व्रज – श्रावण शुक्ल सप्तमी, रविवार, 15 अगस्त 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
- आज श्रीजी में नियम से मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है. जैसाकि हम जानते है प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है.
- दान और रास के भाव के मुकुट-काछनी के श्रृंगार में पीताम्बर जिसे रास-पटका भी कहा जाता है, धराया जाता है जबकि गौ-चारण और वन-विहार के भाव में गाती का पटका धराया जाता है.
आज श्रीजी में रास के भाव का पीताम्बर अर्थात रास-पटका धराया जाता है.
विशेष : बगीचा उत्सव श्री नवनीतप्रियाजी में :
आज श्री नवनीतप्रियाजी में बगीचा उत्सव होगा. आज के दिन प्रभु श्री नवनीतप्रियाजी श्रीजी मंदिर में स्थित श्री महाप्रभुजी की बैठक वाले बगीचे में विहार एवं झूलने को पधारते हैं. - व्रज में नन्दगाँव के पास नंदरायजी का बगीचा है जहाँ नंदकुमार खेलने एवं झूलने के लिए पधारते थे इस भाव से आज बैठक के बगीचे को नंदरायजी का बगीचा मानकर श्री नवनीतप्रियाजी वहां झूलने पधारते हैं.
- श्री नवनीतप्रियाजी वर्ष में दो बार (आज के दिन व फाल्गुन शुक्ल अष्टमी) के दिन महाप्रभु की बैठक स्थित इस बगीचे में पधारते हैं.
- आज द्वितीय गृह पीठाधीश्वर श्री कृष्णरायजी (1857) का उत्सव होने से श्रीजी को धराये जाने वाले आज के वस्त्र द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर से सिद्ध हो कर आते हैं. वस्त्रों के साथ श्रीजी और श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु बूंदी के लड्डुओं की छाब भी वहीँ से आती है.
श्रीजी दर्शन: - साज सेवा में आज वर्षाऋतु में बादलों की घटा एवं बिजली की चमक के मध्य यमुनाजी के किनारे कुंज में एक ओर श्री ठाकुरजी एवं दूसरी ओर स्वामिनीजी को व्रजभक्त मचकी का झूला झुला रहे हैं. प्रभु की पीठिका के आसपास सोने के हिंडोलने का सुन्दर भावात्मक चित्रांकन किया है जिसमें ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभु स्वर्ण हिंडोलना में झूल रहे हों, ऐसे सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई आज श्रीजी में धरायी जाती है.
- गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में पट पीला एवं गोटी मोर वाली धराई जाती हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को पीले रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं रास पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र श्वेत डोरीया के धराये जाते है.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - श्रृंगार सेवा में प्रभु को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फ़ीरोज़ा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर सिलमा सितारों का मुकुट व टोपी एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में फ़ीरोज़ा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- चोटीजी मीना की आती हैं.
- श्रीकंठ में कली,कस्तूरी आदि की माला धराई जाती हैं.
- पीले पुष्पों के रंग-बिरंगी थाग वाली दो सुन्दर मालाजी एवं कमल के फूल की मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- आरसी नित्य वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज निम्न पदों का गान किया जाता है :
मंगला : आज में देखे कुंवर कन्हाई
राजभोग : माई री श्याम घन तन दामिनी
हिंडोरा : झुलत गिरिधर लाल हिंडोरे
झुलत सांवरे संग गौरी
रमक झमक झूलन में झमक मेह
सुखद वृन्दावन सुखद यमुना तट
शयन : ओल्हर आई हो घन
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी डोल तिवारी में सोने (स्वर्ण) के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं.
- श्री नवनीत प्रियाजी चन्दन के हिंडोलने में विराजित होकर झूलते है.
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जय श्री कृष्ण।
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