व्रज – फाल्गुन कृष्ण नवमी
रविवार, 07 मार्च 2021
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका
में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की
प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत
श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :
साज : आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके
ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद
बिछावट की जाती है. दो में से एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई
जाती है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
वस्त्र : आज श्रीजी को लाल लट्ठा का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी
धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पिले रंग के धराये जाते हैं. पटका लाल रंग का धराया जाता हैं.
सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार आभरण : आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. कंठहार, बाजूबंद,
पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मीना के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल
धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मीना के कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की
रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी फागुण की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्याकालिन सेवा : संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के
(छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
– श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : हो हो बोलत डोलत मोहन
राजभोग : अष्टपदी, मोहन खेलत होरी
खेलत बसंत पिय प्यारी
आरती : प्रथम सीस चरणन धर बंदो
शयन : गावत धमार आई
पोढवे : चले हो भावते रस एन
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं
शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का
भोग आरोगाया जाता है.
श्रीजी के कपोल पर गुलाल अबीर से सुन्दर चित्रांकन किया जाता है.
राजभोग के दर्शनों में भारी खेल होता है और दर्शनार्थी वैष्णवों पर पोटली से गुलाल अबीर
उडाये जाते है.
सायंकालिन भोग दर्शनों के भोग में खेल के साज के भोग अरोगाये जाते है जिसमे सूखे
मेवा, फलों तथा दूधघर की सामग्रियों की अधिकता रहती है.
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जय श्री कृष्ण
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