– श्रीजीलाल सनाढ्य
प्रभु श्रीनाथजी के दर्शनों में अब घटाओं के दर्शन प्रारंभ हो गए है। जो पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका से भली भांति परिचित हैं और जिनके घरों में श्री ठाकुरजी की सेवा विराजमान हैं वे इन शीत ऋतु घराई जाने वाली घटाओं के दर्शनों के भावों से भी परिचित हैं ही। गत वर्षों के अंकों में इनके भावों पर काफी लिखा है दिव्य शंखनाद में लेकिन फिर भी भावों को फिर दृष्टीपात आवश्यक है।
घटाओं का अर्थ किसी भी नियत रंग के अनुरूप साज-श्रृंगार-वस्त्रों का आवरण प्रभु को किया जाता है जिसे घटा का स्वरूप कहा जाता है। सरल भाषा में ऐसा भी कह सकते है जब आसमान पर घटाएं घिर कर आतीं है तो उस समय समग्र वातावरण ही उसके अनुरूप घनघोर हो जाता है उसी प्रकार जिस दिन जिस रंग की घटा के दर्शन हाते है उस दिन प्रभु के आस-पास का समग्र वातावरण उसी रंग से सराबोर होता है। गर्भ के इन दिनों में जीव को किस प्रकार रहना चाहिये यह भी प्रभु की दैनंदनी सेवा प्रणाली में आये परिवर्तनों से समझना चाहिये। संवत् 1977 से पहले केवल चार प्रकार के रंगों (हरी, लाल, श्याम और पीली) की घटाओं के ही दर्शन होते थे। एक समय तिलकायत श्री गौवद्र्धन लालजी महाराज और तिलकायत श्री दामोदर लालजी महाराज बनारस पधारे। वहां प्रभु मुकुंदराय जी के यहां द्वादश घटाओं के दर्शन किये। तब संवत् 1977 में उन्होंने श्रीजी में प्रभु निकुंज नायक के भाव से द्वादश निकुंज में द्वादश घटाओं को लागू किया।
इन घटाओं का वर्गीकरण रंगों में 1. सुनहरी जरी की घटा, 2. केसरी घटा, 3. चंद्रोदय वाली घटा, 4. रूपहरी (सफेद) जरी की घटा, 5. पीली घटा, 6. लाल घटा, 7. पतंगी घटा, 8. फिरोजी घटा, 9. गुलाबी घटा, 10. श्याम घटा, 11. बैंगनी घटा, 12. हरी घटा.। अर्थात यदि आज श्याम घटा के दर्शन होने है तो प्रभु के आवरण, श्रृंगार, वाघा-वस्त्र, अलंकार सभी श्याम ही होंगे। अर्थात श्री ठाकुरजी के दर्शन श्याम निकुंज में होंगे।
एक बात और जान लें कि शीतकाल के तीन मास के दौरान होने वाले इन घटाओं के दर्शनों के दिन नियत नहीं है। यह सेवा अवकाश और भाव के अनुसार होते हैं। परंतु मार्ग शीर्ष अर्थात गोपमास में 5 घटाओं के, पौष मास में 4 घटाओं और माघ मास में 3 घटाओं के दर्शन होते हैं। यह घटाओं के भौतिक भाव है जो रंगों के स्वरूपों में प्रकट होतीं हैं। परंतु यदि इनके अलौकिक भाव न हों यह तो पुष्टिमार्ग में संभव ही नहीं है। इन घटाओं में सखी भाव और भक्तन के भाव प्रमुख हैं। सखी भाव में इनको चार सखियों के भावों को तीन-तीन रंगों में अभिव्यक्त किया गया है। 1. श्री स्वामनी जी के भाव से सुनहरी जरी की घटा, केसरी घटा और चंद्रोदयवाली घटा आती है। 2. श्री चन्द्रावली सखी के भाव से रूपहरी जरी की घटा, पीली घटा और लाल घटा आती है। 3. श्री ललिता जी के भाव से पतंगी घटा, फिरोजी घटा और गुलाबी घटा आती है। वहीं श्री यमुनाजी के भाव से श्याम घटा, बैंगनी घटा और हरी घटा आती है। श्रीनाथजी में मार्गशीर्ष माह की कृष्ण दशमी से घटाओं के दर्शन प्रारंभ होते हैं। धनुर्मास के प्रारंभ के साथ ही घटा के दर्शन प्रारंभ हो जाते हैं। घटा दर्शन की विशेषता यह है कि बारह घटाओं में से जिस दिन जिस रंग की घटा होती है उस दिन उसी रंग के वस्त्र व आभूषण धारण करवाते हैं। यहां तक की पिछवाई, साज आदि भी उसी रंग के होते हैं। श्रीजी के घटा दर्शनों की झांकी अद्भुत, आकर्षक व अद्वितीय होती है। यहां केवल एक बात अपनी जोडऩा चाहता हूं कि यदि प्रभु भक्ति में आप विश्वास करते हैं तो श्रीजी में इन घटाओं से शिक्षा ले सकते हैं कि जब प्रभु को भजें तो अपनी संपूर्ण क्षमताओं से भजें। तो घटाओं के दर्शनों का लाभ लेना चुकिये मत…
जय श्री कृष्ण।