व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी, बुधवार, 26 अगस्त 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज की विशेषता : आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी सेवा दर्शन :
साज सेवा के तहत श्रीजी में आज लाल एवं पीले लहरियाँ की रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है. गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है. दो जड़ाऊ स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी चांदी की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल व पीले रंग की मलमल का लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - प्रभु को आज छेड़ान अर्थात छोटा का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोजा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल पीले लहरिया की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव के क़तरा एवं तुर्री के साथ बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलकबिंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल
- पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. कमल माला भी धराई जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ मिलवा धराई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : मची कीच महर के आँगन
राजभोग : हा हो सब ग्वाल नाचे
आरती : हेरी हेरी रे मैया
शयन : सुनी बड भागिन हो नन्दरानी
पोढवे : गृह आवत गोपीजन
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य
- नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में चांदी के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
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जय श्री कृष्ण।
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