व्रज – भाद्रपद कृष्ण छठ, शनिवार, 28 अगस्त 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
- आज सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है. तकिया आज लाल काम वाले आते है.
- आज श्रीजी में जन्माष्टमी की पानघर की सेवा की जाती हैं.
- आज प्रभु को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मेवाबाटी (मेवा मिश्रित खस्ता ठोड़) अरोगायी जाती है.
श्रीजी की साज सेवा के दर्शन : - साज सेवा के तहत श्रीजी में आज मलमल की हरे और श्वेत रंग के लहरिया की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल की बिछावट की जाती है.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली ही होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में पट शतरंज का हरा एवं गोटी स्वर्ण की शतरंज की धराई जाती हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज हरे और श्वेत लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन : - आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण माणक तथा जड़ाव स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हरे-सफेद लहरिया की पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सुनहरी जमाव का कतरा एवं सुनहरी तुर्री तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में माणक के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में हार एवं दुलड़ा धराया जाता हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- इसी प्रकार की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में सोना की डांडी की दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज निम्न पदों का गान किया जाता है :
मंगला : मोद विनोद आज गृह नन्द
राजभोग : सब ग्वाल नाचे गोपी गावे
आरती : चलो मेरे लाडिले हो पायन
शयन : अंधियारी भादो की रात
पोढवे : गृह आवत गोपीजन
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण।
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