अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया है कि अमेरिका ने पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह के ख़िलाफ़ एक ड्रोन हमला किया है जिसमें समूह का एक सदस्य मारा गया है. अमेरिका का कहना है कि ‘शुरुआती संकेत’ बताते हैं कि इस हमले में आईएस के जिस सदस्य को निशाना बनाया गया था वो मारा गया है और किसी आम नागरिक की मौत नहीं हुई है.
काबुल हमलों में कम से कम 170 लोगों की मौत हुई है, वहीं मरने वालों में 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं. इस महीने राजधानी काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला जाना जारी है. बीते दो हफ़्तों में 1,00,000 से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है. मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका के सुरक्षाबलों के चले जाने की डेडलाइन पूरी हो रही है.
बाइडन ने शुक्रवार को इस हमले के साज़िशकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा था, “हम माफ़ नहीं करेंगे, हम नहीं भूलेंगे. हम ढूंढ निकालेंगे और नतीजा भुगतना होगा.”
काबुल एयरपोर्ट पर तक़रीबन 5,000 अमेरिकी सुरक्षाबल तैनात हैं जो कि देश छोड़ रहे अफ़ग़ान लोगों की मदद में लगे हुए हैं. अधिकतर नेटो देशों ने अपनी आपातकालीन उड़ानों को समाप्त कर दिया है. फ्रांस ने शुक्रवार को ही अपना निकासी अभियान समाप्त कर दिया था. उनका आरोप था कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है.
गुरुवार को हुए धमाके के बाद अफ़ग़ानिस्तान में यह अमेरिका का पहला ड्रोन हमला है. सेंट्रल कमांड के कैप्टन बिल अर्बन ने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान के नांगाहार प्रांत में एक मानव रहित हवाई हमला किया गया. शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि हमने अपने लक्ष्य को मार दिया है. हमें पता चला है कि आम नागरिकों को कोई नुक़सान नहीं हुआ है. एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा कि ये हमला आईएस के एक सदस्य को निशाना बनाकर किया गया था. उन्होंने बताया कि इस हमले को मध्य पूर्व से रीपर ड्रोन से अंजाम दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक अन्य आईएस सदस्य के साथ वो सदस्य एक कार में था जब उसे निशाना बनाया गया और इस हमले मे दोनों लोग मारे गए हैं.