व्रज – भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी, रविवार, 19 सितम्बर 2021
आज की विशेषताएं : आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- इसके तहत आज श्रीजी को मल्लकाछ टिपारा का श्रृंगार धराया जायेगा.
मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) के मेल से बना है. ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं.
श्रीजी दर्शन : - साज सेवा में आज श्रीजी में श्री गोवर्धन शिखर, सांकरी खोर, गौरस बेचने जाती गोपियों एवं श्री ठाकुरजी एवं बलरामजी मल्लकाछ-टिपारा धराये भुजदंड से मटकी फोड़ने के लिए श्रीहस्त की छड़ी ऊंची कर रहे हैं एवं मटकी में से गौरस छलक रहा है ऐसे सुन्दर चित्रांकन वाली दानलीला की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज हरे मलमल का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित मल्लकाछ एवं पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज श्रीकंठ के श्रृंगार छेड़ान के तथा अन्य सभी श्रृंगार भारी धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें टिपारा की टोपी के ऊपर मध्य में हरे वस्त्र पर मोतियों से सुसज्जित मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- चोटीजी नहीं धराई जाती हैं.
- कमल माला धराई जाती हैं.
- श्वेत पुष्पों की कलात्मक, रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट हरा एवं गोटी चाँदी की बाघ-बकरी की आती हैं.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि - मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है.
- नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : कौन नई सी जात अहीरी
राजभोग : ग्वालन मीठी तेरी छाछ
आरती : आज नन्द के नंदन सों
शयन : गर्व पहेली गुजरिया
मान : आज निकी बनी राधिका रानी
पोढवे : पोढीये पिय कुंवर कन्हाई - ……………………..
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जय श्री कृष्ण
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