व्रज – भाद्रपद शुक्ल द्वादशी, शनिवार, 18 सितम्बर 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित श्रीनाथजी के दर्शन इस प्रकार है.
आज की विशेषता :
- श्रीनाथजी में वामन द्वादशी उत्सव का सभी सेवा क्रम कल एकादशी को कर लिया गया था. लेकिन श्रृंगार क्योंकि दान के भाव का धराया गया था इस लिए आज वामन जयंती का श्रृंगार अंगीकार करवाया जाता है.
- भाद्रपद कृष्ण पंचमी को केसर से रंगे गये वस्त्र जन्माष्टमी, राधाष्टमी और वामन द्वादशी के उत्सवों धराये जाते हैं.
- एक बहुत अद्भुत तथ्य है कि आज यह श्रृंगार धराया प्रभु का स्वरुप अन्य दिनों की तुलना में कुछ छोटा प्रतीत होता है अर्थात दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि श्रीजी आज वामन रूप में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं.
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - साज सेवा में आज जन्माष्टमी वाली उत्सव की कमल के काम वाली लाल सुनहरी बड़े लप्पा वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज उत्सव का और गोटी स्वर्ण की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज केसरी मलमल पर रुपहली जरी की किनारी से सुसज्जित धोती एवं गाती का उपरना धराया जाता है.
- प्रभु के यश विस्तार भाव से ठाड़े वस्त्र सफेद धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज प्रभु को मध्य का श्रृंगार धराया जाता है. –
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरे के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, तीन मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- कली कस्तूरी आदि की मालाजी धराई जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- आरसी प्रभु को आज पीले खंड वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : हमारो दान दहो
राजभोग : ग्वालन मीठी तेरी छाछ
आरती : नेक धीरी धीरी ठाडी
शयन : गर्व गहेली
मान : आज निकी बनी
पोढवे : तुम पोढो हों सेज
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण।
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