व्रज – आसोज कृष्ण तृतीया, शुक्रवार, 24 सितम्बर 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित श्रीनाथजी के दर्शन इस प्रकार है.
विशेषता : लाल पीले लहरिया के वस्त्र जडाऊ मुकुट : दान और रास के भाव के मुकुट-काछनी के श्रृंगार में पीताम्बर (जिसे रास-पटका भी कहा जाता है) धराया जाता है जबकि गौ-चारण के भाव में गाती का पटका (जिसे उपरना भी कहा जाता है) धराया जाता है. दान के दिनों के मुकुट काछनी के श्रृंगार की कुछ और विशेषताएँ भी है. इन दिनों में जब भी मुकुट धराया जावे तब मुकुट को एक वस्त्र से बांधा जाता है जिसे मुकुट पीताम्बर कहा जाता है जिससे जब प्रभु मटकी फोड़ने कूदें तब मुकुट गिरे नहीं. इसके अतिरिक्त दान के दिनों में मुकुट काछनी के श्रृंगार में स्वरुप के बायीं ओर चोटी (शिखा) नहीं धरायी जाती.
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन :
- साज सेवा में आज श्रीजी में दानलीला एवं सांझीलीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर पर सफ़ेद बिछावट होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी दान की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल पीले लहरिया की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी तथा रास-पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र सफेद भातवार के धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज प्रभु को वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोज़ा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर स्वर्ण का रत्नजड़ित मुकुट, टोपी एवं मुकुट पिताम्बर के साथ बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में कली,कस्तूरी कमल आदि मालाजी धरायी जाती है.
- पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, फिरोजा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
जय श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : दान कल बनी आज
- राजभोग : यहाँ अब काहे को दान, आज दधि कंचन मोल भई
- आरती : सब मिल गयी लाडली
- शयन : गर्व सहेली गुजरिया
- मान : आज निकी बनी राधिका
- पोढवे : कुञ्ज में पोढ़े रसिक पिय प्यारी
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण।
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