व्रज – कार्तिक कृष्ण तृतीया, शनिवार, 23 अक्तूबर 2021
दीपावली के पूर्व कार्तिक कृष्ण एकादशी का प्रतिनिधि का श्रृंगार
दशहरा के अगले दिन से दीपावली के उत्सव के प्रतिनिधि के श्रृंगार धरायें जा सकते हैं.
इनमें कार्तिक कृष्ण दशमी से दीपावली तक धराये जाने वाले सभी छह श्रृंगारों के प्रतिनिधि के श्रृंगार आगामी दिनों में धराये जाएंगे. इनमें कुछ श्रृंगार के दिन नियत व कुछ खाली दिनों में धराये जाते हैं.
प्रतिनिधि श्रृंगार में वस्त्र, साज और श्रृंगार आदि मुख्य श्रृंगार जैसे ही होते हैं.
इस श्रृंगार को धराये जाने का अलौकिक भाव भी जान लें.
इसी श्रृंखला में आज दीपावली के पहले वाली एकादशी को धराये जाने वाले वस्त्र और श्रृंगार धराया जाता है जिसमें श्याम आधारवस्त्र पर ज़रदोज़ी के भरतकाम से सुसज्जित साज, पाग एवं श्याम ज़री के चाकदार वागा धराये जाते हैं और कर्णफूल का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीमस्तक पर श्याम चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर डांख का नागफणी (जमाव) का कतरा धराया जाता है.
लगभग यही वस्त्र व श्रृंगार दीपावली के पूर्व की एकादशी को भी धराये जायेंगे.
अन्नकूट के पूर्व अष्टसखियों के भाव से आठ विशिष्ट श्रृंगार धराये जाते हैं. जिस सखी का श्रृंगार हो उनकी अंतरंग सखी की ओर से ये श्रृंगार धराया जाता है. आज का श्रृंगार चंपकलताजी का है.
साज – श्रीजी में आज गेरू (कत्थई) रंग के आधारवस्त्र (Base Fabric) के ऊपर पुष्पों की सजावट का सुनहरी सितारों के ज़रदोज़ी के काम वाली पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई पर श्याम रंग के कपड़े का हांशिया (Border) है जिस पर पुष्पों का ज़रदोज़ी का काम किया हुआ है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज श्याम रंग के एवं श्वेत ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले दरियाई के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज छेड़ान (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरे, मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्याम रंग के चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, लूम तथा डाँख का जमाव (नागफणी) का कतरा रूपहली तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल के दो जोड़ी धराये जाते हैं.
त्रवल नहीं धराया जाता वहीं हीरा की बग्घी धरायी जाती है.
आज जुगावाली चार एवं सात माला धराई जाती हैं.
गुलाबी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी,विट्ठलेशजी वाले वेणुजी एवं एक वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
पट पिला व गोटी श्याम मीना की आती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के आभरण व श्रीमस्तक पर रुपहली लूम तुर्रा धराकर शयन दर्शन खुलते हैं.
राग सेवा :
मंगला – उरज्यो नीलांबर पीताम्बर में
राजभोग – हमारो देव गोवर्धन पर्वत
संध्या आरती – बाजत नंद आवास बधाई
शयन – जयत जयत श्री हरिदास
मान – पिय को बदन निहारत
पोढवे – चाँपत चरण मोहन लाल