व्रज – कार्तिक कृष्ण सप्तमी, गुरुवार, 28 अक्टूबर 2021
दीपावली के पूर्व का नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार दीपोत्सव के पूर्व नियम के कुछ श्रृंगार धराये जाते हैं. आज के मुकुट के श्रृंगार को धराये जाने का दिन नियत नहीं है यद्यपि यह इस पक्ष में धराया अवश्य जाता है.
श्रीजी दर्शन :
- साज सेवा में आज श्रीजी में गौचारण लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल हाशिया के लाल सलीदार ज़री की किनारी वाले सूथन, काछनी एवं मलमल का रास-पटका (पीताम्बर) धराया जाता है.
- इसी प्रकार मेघश्याम दरियाई की चोली धरायी जाती है.
- ठाड़े वस्त्र श्वेत (चिकने लट्ठा के) धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो श्रीजी को वनमाला का चरणारविन्द तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर सुनहरी डाख अर्थात ज़री के काम मुकुट की टोपी व मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में सोना के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. – बायीं ओर मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है. – कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. – श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट दूधिया व गोटी मीना की आती है.
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत मुकुट, टोपी, काछनी व आभरण बड़े कर सुथन पटका, गोल-पाग एवं छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं लूम तुर्रा रूपहरी धराया जाता है और शयन दर्शन खुलते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : सात बरस को सांवरो,
राजभोग : नटवर गत निर्तत है, तिहारे खिरक बताई, आरती : बन्यो मोर मुकुट नटवर वपु,
शयन : ग्र ग्र थुंग थुंग,
मान : प्यारी पग हरे हरे धरो,
पोढवे : ये देखो बरत झरोखन दीपक। - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है. – नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है।
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राजभोग दर्शन कीर्तन – (राग : सारंग) नटवरगति नृत्यत है भक्तन उर परसत है, पुलकित तन हरखत है रासमें लाल बिहारी l बाजत ताल मृदंग उपंग बांसुरी बिना स्वर तरंग ग्रग्रता ग्रग्रता थुंग थुंग लेत छंद भारी ll 1 ll कटि काछिनि पीत सुरंग मोर मुकुट अति सुधंग रंग राख्यौं अर्धभाल ललित शीश पेंच संवारी l आरती वारति यशोदामाय लेत कंठ लगाय देखत सुरनर मुनि और ‘रामदास’ बलिहारी ll 2 ll
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जय श्री कृष्ण ।
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