व्रज – कार्तिक शुक्ल नवमी, शुक्रवार, 12 नवम्बर 2021
विशेष :– आज श्रीजी के घसियार स्थित प्राचीन मंदिर में अन्नकूट मनोरथ होता है.
- इस तिथी का कभी क्षय नहीं होता और आज के दिन किये गये पुण्य व कर्म का क्षय नहीं होता अतः आज की तिथी अक्षय नवमी कहलाती है.
- आज के दिन प्रभु श्री कृष्ण का गोविन्दाभिषेक हुआ था. यह गोविन्दाभिशेक क्या है? जब इंद्र को ज्ञात हुआ की उसकी पूजा रोक दी गयी है तो उन्होंने ब्रज में प्रलय के सामान स्थिति बनादी. लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. तब उसे ज्ञात हुआ की स्वयं प्रभू नन्दराय जी के यहाँ प्रकटे है और यह उनकी ही लीला है तो इंद्र ने स्वयं प्रभु के समक्ष अपने कृत्य की क्षमा मांगी और अपने साथ लाये दिव्य एरावत हाथी के द्वारा आकाश गंगा के जल तथा कामधेनु गाय सुरभि के दूध से प्रभु का अभिषेक किया जिसे गोविन्दाभिषेक कहा जाता है. तभी से प्रभु का एक नाम गोविन्द भी पड़ा.
श्रीजी का सेवाक्रम :- - श्रीजी में आज पूरे दिन की सेवा द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर की होती है – अतः मंगला से शयन तक सभी समां में सेवा हेतु श्री विट्ठलनाथजी के मंदिर में खबर जाती है.
- श्रीजी में आज के श्रृंगारी भी द्वितीय गृहाधीश श्री कल्याणरायजी व उनके परिवारजन होते हैं.
- आज श्रीजी प्रभु को अन्नकूट के दिन धराये वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं एवं गायों के चित्रांकन वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. हम ऐसा कह सकते हैं कि आज अन्नकूट का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है.
- केवल उर्ध्व पीताम्बर प्रभु को नहीं धराया जाता है.
- आज के पश्चात इस ऋतु में जल रंग से चित्रांकित पिछवाई नहीं आएगी.
- आज प्रभु को पूरे दिन तुलसी की माला धरायी जाती है. भोग आरती में तुलसी की गोवर्धन मालाजी धराई जाती है.
- अक्षयनवमी का पर्व होने के कारण श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में दही की सेव (पाटिया) के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
- प्रभु को केशर, कस्तूरी व बूरे से युक्त पेठे के टूक अरोगाये जाते हैं.
- राजभोग की सखड़ी में केसरयुक्त पेठा अरोगाया जाता है.
श्रीजी दर्शन : - साज सेवा में आज बड़ी गायों के अद्भुत चित्रांकन से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. – गादी, तकिया के ऊपर लाल रंग की एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल सलीदार ज़री का सूथन, रुपहली फुलकशाही ज़री की चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- पटका सुनहरी ज़री का धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र अमरसी (चंपाई) रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो श्रीजी को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का दो जोड़ी (माणक व पन्ना) का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मिलवा हीरा, माणक, पन्ना तथा जड़ाव सोने के अन्नकूट की भांति धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर रुपहरी फुलकशाही ज़री की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, लाल ज़री का गौ-कर्ण, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- चोटीजी बायीं ओर धरायी जाती है.
- श्रीकंठ में टोडर व त्रवल दोनों धराये जाते हैं.
- कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (हीरा व स्वर्ण के) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- पट नित्य का, गोटी जडाऊ रखी जाती है.
- आरसी सोने की व अन्य दर्शनों में पीले खंड की होती है.
सायंकालीन सेवा में परिवर्तन :-
संध्या-आरती दर्शन में तुलसी की गोवर्धन-माला (कन्दरा पर) धरायी जाती है.
प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती उपरांत बड़े (हटा) कर शयन समय छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. - श्रीमस्तक पर कुल्हे होती है अतः लूम, तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.
- प्रातः की पिछवाई बड़ी कर फुलकशाही ज़री की पिछवाई आती है.
- शयनभोग की सखड़ी में पेठा-वड़ी का शाक एवं केसर युक्त पेठा अरोगाया जाता है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : प्रथम गौचारण चले गोपाल
राजभोग : सोहत लाल लकुट कर राती
आरती : नन्द नंदन नवल नागर
शयन : कैसे कैसे गाय चराई
पोढवे : आँगन में हरी सोय गयो री
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राजभोग दर्शन कीर्तन (राग : सारंग)
सोहत लाल लकुटी कर राती l
सूथन कटि चोलना अरुन रंग पीताम्बरकी गाती ll 1 ll
ऐसे गोप सब बन आये जो सब श्याम संगाती l
प्रथम गुपाल चले जु वच्छ ले असीस पढ़ात द्विज जाती ll 2 ll
निकट निहारत रोहिनी जसोदा आनंद उपज्यो छाती l
‘परमानंद’ नंद आनंदित दान देत बहु भांति ll 3 ll
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जय श्री कृष्ण
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