व्रज – कार्तिक शुक्ल एकादशी, रविवार, 14 नवम्बर 2021कल कार्तिक शुक्ल द्वादशी सोमवार, 15 नवम्बर 2021 को देव-प्रबोधिनी एकादशी होने के कारण आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराये जाने वाले आगम के लाल-पीले वस्त्र व मोर चंद्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जायेगा. कल देवोत्थापन श्रृंगार में होगा.
श्रीजी दर्शन :
साज सेवा में आज श्याम आधारवस्त्र पर खण्डों में रूपहरि कूदती गायों के कशीदा वाली पिछवाई धरायी जाती है.
गादी, तकिया के ऊपर लाल एवं चरणचौकी के ऊपर हरी बिछावट की जाती है. चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है. चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं. पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की ज़री पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं पटका धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छेड़ान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल ज़री का चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, उसके ऊपर-नीचे मोती की लड़, नवरत्न की किलंगी, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
पन्ना की चार मालाजी धरायी जाती है.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हारे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
खेल के साज में पट लाल व गोटी सोना की छोटी आती है.
आरसी श्रृंगार में छोटी स्वर्ण की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.
संध्याकालिन सेवा में परिवर्तन :
संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
अनोसर में चीरा बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं.
श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : कोन बन जेहो भैया
राजभोग : गावत चले बजावत तारी
आरती : सुन मुरली की टेर झुक रही
शयन : घेरो लाल आपुनी घेट गैय्या
मान : रूप रस पुंज बरनो
पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग ले
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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