व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी, सोमवार, 28 नवम्बर 2021
विशेष :– प्रथम घटा (हरी)
- श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं.
- घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में वर्षाऋतु में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
- इनमें कुछ घटाएँ नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ ऐच्छिक है जो खाली दिनों में ली जाती हैं.
ये द्वादश कुंज इस प्रकार है – - अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज.
- जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में हरित कुंज के भाव से आज श्रीजी में हरी घटा होगी.
- साज, वस्त्र, श्रृंगार, मालाजी आदि सभी हरे रंग के होते हैं.
- कीर्तन भी हरी घटा की भावना के गाये जाते हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन : - साज में श्रीजी में आज हरे रंग के दरियाई अर्थात साटन वस्त्र की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर हरी बिछावट की जाती है.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को हरे रंग के दरियाई अर्थात साटन वस्त्र का रुपहली किनारी से सुसज्जित मोजाजी, सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार में प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हरे रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, हरा रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- हरे रंग के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- पट हरा व गोटी हरे मीना की रखी जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : हरी तुम हरे केवल चीर
राजभोग : मेरो माई हरी नागर सो नेह
आरती : आवत मोहन मान जू हर्यो
शयन : मथुरा नगर की डगर में
मान : हों तो वार डारो री तन मन
पोढवे : लागत है अत शीत की निकी - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
संध्याकालिन सेवा :- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
आज के दिन विशेष रूप से शयन की आरती सभी बत्तियां बुझा कर की जाती है. आरती की लौ की रौशनी में प्रभु के अद्भुत स्वरुप की अलौकिक छटा वास्तव में अद्वितीय होती है. इसी प्रकार आगामी अमावस्या को भी श्याम घटा के दिन भी विशेष रूप से शयन की आरती सभी बत्तियां बुझा कर की जाती है. उसके बाद की सभी घटाओं में शयन के दर्शन बाहर होते ही नहीं अतः यह आनंद केवल दो घटाओं में ही प्राप्त हो सकता है.
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जय श्री कृष्ण
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