व्रज – पौष शुक्ल सप्तमी, रविवार, 09 जनवरी 2022
विशेष :- शीतकाल में श्रीजी को चार बार सेहरा धराया जाता है. इनको धराये जाने का दिन निश्चित नहीं है परन्तु शीतकाल में जब भी सेहरा धराया जाता है तो प्रभु को मीठी द्वादशी आरोगाई जाती हैं. आज प्रभु को खांड़ के रस की मीठी लापसी (द्वादशी) आरोगाई जाती हैं.
श्रीजी दर्शन :-
- साज सेवा में श्रीजी में आज लाल रंग के आधारवस्त्र पर विवाह के मंडप की ज़री के ज़रदोशी के काम से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है जिसके हाशिया में फूलपत्ती का क़सीदे का काम एवं जिसके एक तरफ़ श्रीस्वामिनीजी विवाह के सेहरा के श्रृंगार में एवं दूसरी तरफ़ श्रीयमुनाजी विराजमान हैं और गोपियाँ विवाह के मंगल गीत का गान साज सहित कर रही हैं.
- गादी, तकिया पर लाल रंग की एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग का साटन का सूथन, चाकदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं.
- लाल मलमल का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- लाल ज़री के मोजाजी भी धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पतंगी रंग के दुमाला के ऊपर फ़िरोज़ा का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- सेहरा पर मीना की चोटी दायीं ओर धरायी जाती है.
- श्रीकंठ में कस्तूरी, कली एवं कमल माला माला धरायी जाती है.
- लाल एवं पीले पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में झीने लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक मीना के) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट लाल एवं गोटी राग रंग की आती हैं.
- आरसी उत्सववत दिखाई जाती है.
संध्याकालीन सेवा :-
संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के शृंगार सेहरा एवं श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं.अनोसर में दुमाला बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं. - श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : राधे तू अतरंग भरी हो
राजभोग : राधे जू नव दुल्ही दुल्हे हो मदन गोपाल
आरती : लाल बातन पर बल जेये
शयन : अरी चल दुल्हे देखन जाय
मान : राधे जू के प्राण गोवर्धनधारी
पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
……………………..
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………………….