व्रज – पौष शुक्ल पूर्णिमा, सोमवार, 17 जनवरी 2022
विशेष :– वर्षभर में बारह पूर्णिमा होती है जिनमें से आज के अतिरिक्त सभी ग्यारह पूर्णिमाओं को नियम के श्रृंगार धराये जाते हैं अर्थात केवल आज की ही पूर्णिमा का श्रृंगार ऐच्छिक है.
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- आज प्रभु को किरीट धराया जायेगा जिसे खोंप अथवा पान भी कहा जाता है. किरीट दिखने में मुकुट जैसा ही होता है परन्तु मुकुट एवं किरीट में कुछ अंतर होते हैं :
- मुकुट अकार में किरीट की तुलना में बड़ा होता है.
- मुकुट अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी के दिनों में नहीं धराया जाता अतः इस कारण देव-प्रबोधिनी से डोलोत्सव तक एवं अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक नहीं धराया जाता परन्तु इन दिनों में किरीट धराया जा सकता है.
- मुकुट धराया जावे तब वस्त्र में काछनी ही धरायी जाती है परन्तु किरीट के साथ चाकदार अथवा घेरदार वागा धराये जा सकते हैं.
- मुकुट धराया जावे तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत जामदानी (चिकन) के धराये जाते है परन्तु किरीट धराया जावे तब किसी भी अनुकूल रंग के ठाड़े वस्त्र धराये जा सकते हैं.
- मुकुट सदैव मुकुट की टोपी पर धराया जाता है परन्तु किरीट को कुल्हे एवं अन्य श्रीमस्तक के श्रृंगारों के साथ धराया जा सकता है.
श्रीजी दर्शन :- - साज सज्जा में आज लाल रंग की सिलमा सितारा की ज़रदोशी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है. जिसके साथ तेह, पडघा, बंटा, झारीजी त्रष्टि, अंगीठी सहित सभी साज पधराये जाते है.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को सफ़ेद साटन के का रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं सफ़ेद रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. गाती का पटका गुलाबी.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण में आज प्रभु को वनमाला का चरणारविन्द तक भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- सभी आभरण माणक के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर जड़ाऊ कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, जड़ाव का छोटा पान के ऊपर किरीट का बड़ा जड़ाव पान (खोंप) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- बायीं ओर हीरा की चोटी धरायी जाती है.
- कली, कस्तूरी एवं कमल माला धरायी जाती हैं.
- पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर थागवाली मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में भाभीजी वाले वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- खेल के साज में पट श्वेत एवं गोटी मीना की आती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : आवत कुञ्ज ते पो पीरी
राजभोग : गिर पर ठाड़े लसत गोवर्धन
आरती : आवत मोहन धेन लिए
मान : चल मुख मोन मनायो मान
पोढवे : निकी रितु लागत है अत शीत की
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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