व्रज : माघ कृष्ण एकम, मंगलवार, 18 जनवरी 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :
- साज सज्जा में आज लाल रंग की सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- वस्त्र आज श्रीजी को हरे रंग साटन के सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित धराये जाते है. जिनमे सूथन, घेरदार वागा एवं चोली धराई जाती है.
- आज विशेष रूप से लाल ख़िनख़ाब की फतवी धरायी जाती है.
- सुनहरी एवं हरे रंग के मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण में आज प्रभु को छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में चाँदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट हरा एवं गोटी चाँदी की आती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : कहाँ ते लाये हो इन
राजभोग : माई री लाल आए मेरे
आरती : गौरज राजत सांवल अंग
शयन : हिमकर सुखद सरस ऋतु
मान : मोहन मनायो मान
पोढवे : रुच रुच सेज बनाई
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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