व्रज – माघ कृष्ण चतुर्दशी, सोमवार, 31 जनवरी 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
साज : श्रीजी में आज कत्थई (मेहरून) की सिलमा सितारा के कशीदे के ज़रदोशी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई सजाई जाती है.
गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
वस्त्र : श्रीजी को आज कत्थई (मेहरून) के जरी पर रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चागदार वागा धराये जाते हैं.
ठाड़े वस्त्र सुवा पंखी हरे रंग के छापा के धराये जाते हैं.
श्रृंगार : प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा चन्द्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में के कर्णफूल के एक जोड़ी धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी और कमल माला धरायी जाती है.
श्रीहस्त में चांदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल एवं गोटी चांदी की आती है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : जानन लागे री लालन
राजभोग : सुधे कीन बोले कहा इतराने
आरती : हों कह मिस जाऊं री खिरक
शयन : काजर बिन कारी तेरी अँखियाँ
मान : तेरी भ्रोंह की मरोरन ते
पोढवे : रंग महल सुखदाई
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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