सुनहरी घटा शीतकाल की छेल्ली घटा है.
विशेष – ‘फूली फूली डोले सोने के सदन मदन मोहन रसमाती’ उपरोक्त कीर्तन के भाव के आधार पर प्रभु स्वर्ण भवन में व्रजभक्तों के साथ विहार कर रहे हैं इस भाव से आज श्रीजी में सुनहरी ज़री की घटा के दर्शन होते हैं. आज हेम कुंज की भावना से श्रीजी में सुनहरी घटा है. आज सभी समां में केसरी पुष्प की माला धरायी जाती है.
सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में जल्दी हो जाता है. आज से माघ शुक्ल चतुर्थी तक पाँच दिन प्रभु को ज़री के वस्त्र धराये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन :-
साज सज्जा में श्रीजी में आज सुनहरी ज़री की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं खण्डपाट पर केसरी साटन के वस्त्र आते है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र : आज श्रीजी को सुनहरी ज़री का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी सुनहरी ज़री के धराये जाते हैं.
श्रृंगार प्रभु को आज छोटा कमर तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
सभी आभरण सोनेला एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर सुनहरी ज़री की गोल-पाग (चीरा) के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में स्वर्ण के कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज पूरे दिन केसरी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट सुनहरी, गोटी सोने की चिड़िया की व आरसी सोने की आती है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : मेरे आये भोर प्यारे
राजभोग : गोपाल को मुखारविंद जिय में
आरती : ए सिर सोने के सुथन सोहन पाग
शयन : ले राधे मोहन दे पठाई फूली फूली डोले
मान : झमक चल राधे
पोढवे : निकी ऋतू लागत है अत शीत की
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
……………………..
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………………….