व्रज – माघ शुक्ल एकम, बुधवार, 02 फरवरी 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :-
साज : श्रीजी में आज मेघ स्याम ज़री की सिलमा सितारा के कशीदे के ज़रदोशी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
वस्त्र : श्रीजी को आज मेघ स्याम ज़री का सूथन, चोली एवं चागदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार : प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चीरा (जरी की पाग) पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं तुर्री तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में के कर्णफूल के दो जोड़ी धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में झीने लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
पट मेघ स्याम एवं गोटी चाँदी की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : मेरे आये भोर रेन कहा
राजभोग : हों बल बल जाऊं तिहारी
आरती : उठ चल मान तज बावरी
शयन : जान्यो प्रीत को मरम
मान : कर मनुहार आये मुरार
पोढवे : लागत है अत शीत की
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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