व्रज – माघ शुक्ल एकादशी, शनिवार, 12 फरवरी 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :-
साज : आज श्रीजी में आज सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया गया है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
सम्मुख में धरती पर धरी जाती हैं.
वस्त्र : आज श्रीजी को श्वेत लट्ठा का सूथन, चोली, चाकदार वागा तथा मोजाजी धराये जाते हैं.
ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं. पटका लाल धराया जाता है. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार आभरण : आज श्रीजी को छेडान का फागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण लाल मीना के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर फेंटा के ऊपर गौकर्ण, बीच की चन्द्रिका, एक कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लाल मीना के लोलक बिंदी धराये जाते हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्प की छड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि भी मिलवा धराए जाते है.
खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी हाथी दांत की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर फेंटा रहे लूम तुर्रा नहीं आवे.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : खेलत बसंत निस पिय संग जागी
राजभोग : अष्टपदी, निर्तत गावत बजावत
आरती : ऋतू बसंत वृन्दावन फूले
शयन : ऋतू बसंत वृन्दावन फूले बहरत
मान : मान तजो भजो
पोढवे : खेलत खेलत पोढ़ी श्री राधे
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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