व्रज – माघ शुक्ल द्वादशी, रविवार, 13 फरवरी 2022
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :
साज : आज श्रीजी में आज श्वेत मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया गया है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है. एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
वस्त्र : आज श्रीजी को केसरी लट्ठा का रंगों की छांट वाला एवं स्वेत ज़री की दोहरी किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, घेरदार वागा, मोजाजी एवं केसरी रंग का कटि-पटका धराये जाते हैं.
लाल ठाड़े वस्त्र धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार आभरण : आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
फाल्गुन के कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण लाल एवं सफ़ेद मीना के जडाऊ के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि मिलवा धराई जाती है.
पट चीड़ का व गोटी फाल्गुन की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : खेलत फाग हरी जुवतिन संग
राजभोग : अष्टपदी, खेलत बसंत गिरधर वल्लभ
खेलत बसंत विट्ठलेशराय, खेलत बसंत वर
आरती : सुन्दर वसंत सुन्दर वृन्दावन
शयन : केसर सों भिज्यो बागो भर्यो है गुलाल
मान : मान तजो भजो
पोढवे : खेलत खेलत पोढ़ी श्री राधे
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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