व्रज – फाल्गुन कृष्ण पंचमी, सोमवार, 21 मार्च 2022
श्रीजी दर्शन : आज भलका चौथ के वस्त्र धराये जाते है.
साज : आज श्रीजी में आज सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया गया है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.दो पडघा धरे जाते है जिसमे से एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
वस्त्र : आज श्रीजी को केसरी डोरिया के वस्त्र धराये जाते है. जो सफ़ेद ज़री की दोहरी किनारी से सुसज्जित होते है. वस्त्रों में सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं कटि-पटका धराये जाते हैं.
लाल ठाड़े वस्त्र धराये जाते हैं. मोजाजी भी केसरी डोरिया के ही धराये जाते है.
सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार : आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्ण में जड़े श्वेत मीना के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज दो गूंजा माला के साथ श्वेत, लाल एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर भी फागुन के धराये जाते है.
पट चीड़ का व गोटी फाल्गुन की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्याकालीन सेवा : संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराये जाते हैं.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : फाग खेलन ब्रज सुन्दर
राजभोग : अष्टपदी, अरी चल बेग छबीली
होरी के खिलार भावते
आरती : खेलत नन्द किशोर
शयन : हरी संग खेलत राधा गोरी
पोढवे : खेलत खेलत पोढ़ी श्री राधे
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
श्रीजी के कपोल पर गुलाल अबीर से सुन्दर चित्रांकन किया जाता है.
राजभोग के दर्शनों में भारी खेल होता है और दर्शनार्थी वैष्णवों पर पोटली से गुलाल अबीर उडाये जाते है.
सायंकालिन भोग दर्शनों के भोग में खेल के साज के भोग अरोगाये जाते है जिसमे सूखे मेवा, फलों तथा दूधघर की सामग्रियों की अधिकता रहती है.
……………………..
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………………….